शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉउंड्रिंग मामले में पिछले साल से जेल में बंद मनीष सिसोदिया को मंगलवार को ईडी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। उनकी जमानत याचिका पर 6 अप्रैल को सुनवाई होगी।सुप्रीम कोर्ट ने शराब नीति से जुड़े धनशोधन मामले में मंगलवार को आप सांसद संजय सिंह को छह माह बाद जमानत दे दी। इसी मामले में पिछले साल से जेल में बंद मनीष सिसोदिया को मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। इस दौरान उनकी जमानत पर सुनवाई हुई। अदालत ने ईडी को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई छह अप्रैल को होगी। माना जा रहा है कि सिंह की तरह उन्हें भी अदालत से राहत मिल सकती है।सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने स्पेशल जज कावेरी बावेजा से कहा कि सिसोदिया जमानत के लिए पात्र हैं. क्योंकि सरकारी खजाने को नुकसान हुआ हो ऐसा कोई मामला नहीं है। वकील ने दावा किया कि कोई भी जांच एजेंसी यह साबित नहीं कर पाई है कि उनके हाथ कोई पैसा पहुंचा है। वह 13 महीने से जेल में हैं और कभी भी अदालत द्वारा दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया। ईडी की चार्जशीट में सिसोदिया को मामले में प्रमुख साजिशकर्ता नामित किया गया था। पूर्व डिप्टी सीएम पर दिल्ली की नई आबकारी नीति को तैयार करने में अतिरिक्त हस्तक्षेप करने, विशेष शराब संस्थाओं के लाभ के लिए इसमें बदलाव करने और राज्य के खजाने को कई सौ करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।अधिवक्ता माथुर ने तर्क दिया कि सिसोदिया जमानत के लिए ट्रिपल टेस्ट के लिए पास हैं, जिसमें कहा गया है कि जमानत तभी दी जा सकती है जब यह स्थापित हो जाए कि आरोपी के भागने का खतरा नहीं है, वह गवाहों को प्रभावित नहीं कर रहा है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, सिसोदिया अब प्रभावशाली नहीं हैं, क्योंकि वह अब डिप्टी सीएम नहीं हैं।
मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही दिल्ली की एक अदालत से कहा कि उन्हें और जेल में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने स्पेशल जज एम. के. नागपाल को बताया कि कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के धन शोधन मामले में उनके खिलाफ जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और उनके द्वारा जांच में बाधा डालने या सबूत नष्ट करने की कोई आशंका नहीं है। उन्होंने जज से यह भी कहा कि अगर अदालत उन्हें जमानत देने का फैसला करती है, तो वह अदालत द्वारा लगाई गई किसी भी शर्त का पालन करने के लिए तैयार हैं।