आतंक का दूसरा नाम या फिर अपराध का मुख्तार। बांदा जेल में मौत के साथ पूर्वांचल में चार दशक पुरानी गैंगवार का एक किस्सा बनकर रह गए माफिया मुख्तार अंसारी को लेकर वाराणसी से लेकर उसके पैतृक आवास गाजीपुर तक चट्टी-चौराहों से लेकर हर तरफ शुक्रवार को जबरदस्त हलचल दिखी। कहीं उसकी कहानी लोगों की जुबान पर तो कहीं आक्रोश और आंखें नम। गाजीपुर के मोहम्मदाबाद नगर में ‘फाटक’ के नाम से मशहूर मुख्तार अंसारी के घर ही नहीं, पूरे इलाके में कर्फ्यू जैसे माहौल के बीच पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के बूटों की धमक बहुत कुछ बयां कर रही थी।ताबूत में बंद मुख्तार बांदा में पोस्टमॉर्टम के बाद मुख्तार अंसारी का शव अंतिम संस्कार के लिए पैतृक कब्रिस्तान लाए जाने की खबर के बीच वाराणसी से गाजीपुर तक के सफर का नजारा यह बताने के लिए काफी था कि शुक्रवार का दिन हर किसी के लिए कौतूहल भरा रहा। ग्रामीण इलाकों की दुकानों और चौराहों पर आमदिनों में दोपहर के समय पसरे रहने वाले सन्नाटे की जगह हर तरफ भीड़-भाड़ और जुबान पर कोई न कोई कहानी या फिर कुछ नया सुनने की कोशिश। वाराणसी से 30 किलोमीटर आगे गाजीपुर के सिधौना-औडिहार व उससे आगे सैदपुर के बाजार में दोपहर 1 बजे चाय की दुकानों पर मुख्तार से जुड़ी अखबारों में छपी खबरें बांचते लोग दिखे।सिधौना पुलिस चौकी के पास नंदलाल की चाय की दुकान पर चुस्कियों के बीच कानों में पड़ी यह बात कि ‘मूंछ और हाथ में राइफल वाली तस्वीर नहीं, ताबूत में बंद देखना है’, लोगों की मुख्तार के प्रति सोच और मन की बात बताने-समझाने के लिए काफी है। पूछने पर नंदलाल बताते हैं कि आज सुबह से ही लोग इसलिए कप पर कप चाय गटक रहे कि उन्हें टीवी चैनलों और अखबारों से पता चल गया है कि मुख्तार का शव गाजीपुर आने वाला है।सैदपुर से आगे गाजीपुर के प्रमुख नंदगंज बाजार में भी वही नजारा। यहां प्रकाश की चाय की दुकान पर बैठे बुजुर्ग सज्जन मुख्तार के जेल में रुआब के किस्से सुनाते मिले। लोगों को बता रहे थे कि ताजी मछलियां खाने के लिए मुख्तार ने जेल में ही तालाब खुदवा दिया था। यही नहीं, वह जेल में बड़े-बड़े अधिकारियों और सफेदपोशों को बुलवाकर उनके साथ बैडमिंटन खेला करता था।दूसरे सज्जन बताने लगे कि कैसे वह जेल में लोगों के आपसी झगड़ों का निपटारा भी एक लाइन के फरमान से कर देता था। क्या मजाल कि कोई चूं-चपड़ करे। गाजीपुर शहर की सड़कों पर सामान्य दिनों की तरह भीड़ भाड़ के बीच मुख्तार से जुड़ी खबरों को जानने-सुनने को लोग बेताब दिखे। हर कोई अपडेट जानने को टीवी के सामने जमा रहा।गाजीपुर शहर से 25 किलोमीटर आगे मोहम्मदाबाद युसुफपुर जाने वाली सड़क के दोनों तरफ बंद दुकानें और सन्नाटे के बीच जगह-जगह बैरेकेडिंग कर फोर्स की तैनाती बता रही थी कि मुख्तार का आवास यानी फाटक आसपास ही है। चारों तरफ से बाउंड्री से घिरा बड़ा कैंपस और अंदर जाने के एक ही रास्ते वाले ‘फाटक’ में कभी मुख्तार का दरबार सजता और पंचायत बैठती थी, लेकिन शुक्रवार को यहां जुटे लोगों को अपने ‘रहनुमा’ की मौत का बेहद अफसोस था। डीएम आर्यका अखौरी की भीड़ न लगाने की अपील खासकर युवाओं पर बेअसर। अपने भाईजान की मौत पर लोगों की आंखें नम और गुस्सा भी पर बदले माहौल में हर कोई खुलकर बोलने से बचता रहा।मोहम्मदाबाद में अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों के मार्च और अधिकारियों की पट्रोलिंग के बीच मुख्तार को सुपुर्द-ए-खाक करने को कब्र खोदकर तैयार की गई है। जिस कालीबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा, वह मुख्तार के घर से 400 मीटर दूर है। कब्रिस्तान के बाहर सुबह से सुबह से शाम तक लोगों का आना-जाना लगा रहा। हर कोई यही जानना चाहता था कि मुख्तार का शव बांदा से कब आएगा। इसी कब्रिस्तान में मुख्तार के मां-पिता की कब्र है। उनके बगल में ही मुख्तार को दफनाया जाएगा।