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CAA कानून पर क्यों भड़का पाकिस्तान ? CAA कानून को लेकर अमेरिका भारत से क्यों डरा ?CAA कानून पर क्यों भड़का पाकिस्तान ? CAA कानून को लेकर अमेरिका भारत से क्यों डरा ?

जबसे CAA का नोटिफिकेशन जारी हुआ है तबसे वाद-विवाद की लहर दौड़ पड़ी है | CAA को लेकर कई बाते और दावे सामने आ रहे हैं | कोइ इसे एंटी मुस्लिम बता रहा है तो कोई इसके सहारे अपनी राजनीति की रोटियां सेक रहा है | अब ऐसे में पडोसी देश पाकिस्तान भला कैसे पीछे रह सकता है | पाकिस्तान ने CAA को लेकर एक बयान दिया है | पाकिस्तान के कहा है कि यह कानून धर्म के आधार पर लोगों को बांटने वाला है | पाकिस्तान ने बकायदा बयान जारी कर कहा है कि इस कानून से भारत के मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि CAA से उनकी नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा | पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि ये स्पष्ट है कि CAA और इसके नियम भेदभावकारी हैं  क्योंकि ये धर्म के नाम पर लोगों को बांटने वाले हैं | वहीँ सीएए कानून को लागू करने की खबर को पाकिस्तान के कई प्रमुख अखबारों ने प्रमुखता से कवर किया है | पाकिस्तानी अखबारों ने अलग-अलग तरह की टिप्पणियां छापी हैं | पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने लिखा कि CAA का नोटिफिकेशन जारी करने की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि वो इलेक्टोरल बॉन्ड्स के लाभार्थियों की लिस्ट 15 मार्च तक जारी करे | कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्स को असंवैधानिक करार दिया है | डॉन ने आगे लिखा, ‘विश्लेषकों का कहना है कि CAA लागू करने की घोषणा का मकसद हेडलाइन्स मैनेज करना है |’ पाकिस्तानी अखबार ने रिपोर्ट में सीएए नॉटिफिकेश की टाइमिंग पर सवाल उठा रहे विपक्षी नेताओं के बयान को प्रमुखता से जगह दी है | बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान का जिक्र करते हुए डॉन ने लिखा कि विपक्षी नेताओं ने चुनाव से ठीक पहले सीएए लागू करने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है |

क्या है CAA ?

नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था | यहां से तो ये पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया | बाद में इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया और फिर चुनाव आ गए | दोबारा चुनाव के बाद नई सरकार बनी, इसलिए दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में फिर पेश किया गया | इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह से पास हो गया | राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 10 जनवरी 2020 से ये कानून बन गया था | नागरिकता संशोधन कानून के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगा | कानून के मुताबिक, जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले आकर भारत में बस गए थे, उन्हें ही ही नागरिकता दी जाएगी | एक ऐसा ही कानून 1955 के नागरिकता कानून का सेक्शन 6A , ये सेक्शन 1985 में हुए असम समझौते की देन है | जिसमे तय हुआ था कि जनवरी 1966 से लेकर 24 मार्च 1971 के बीच जो लोग असम में आकर बस चुके हैं उन्हें विदेशी नहीं माना जाएगा | इस कानून में धर्म कोइ भी आधार नहीं था और यह सब एक लम्बी प्रक्रिया के बाद तय हुआ था | तो क्या CAA लागू होने के बाद असम में फिर से बदलाव होगा और क्या असर पड़ेगा असम में रह रहे उन लोगों पर जो 1985 से 1971 के बीच में आये थे | साल 2018 में करीब 1600 करोड़ रपये NRC कराने के लिए खर्च किये गए थे | आपको बता दें कि CAA को पूरे देश में लागू नहीं किया गया है | असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा के जानजातीय क्षेत्रों में अभी भी CAA लागू नहीं हुआ है और साथ ही उन इलाकों में भी लागू नहीं किया गया है जहां पर जनजातीय क्षेत्रों में जाने के लिए इनर लाइन परमिट लेनी पड़ती है | अब आगे क्या होगा यह सरकार ही बता पाएगी |

CAA पर अमेरिका ने क्या कहा ?

CAA को लेकर अमेरिका ने भी अपने विचार रखें हैं और भारत पर एक टिप्पड़ी भी कर दिया है | भारत में CAA का नोटिफिकेशन जारी के होने के बाद अमेरिका ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है | अमेरिका ने कहा है कि वह सीएए के नोटिफिकेशन को लेकर चिंतित है और इस पर नजर रखे हुए है | अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि भारत ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन विधेयक का नोटिफिकेशन जारी किया, जिसे लेकर हम चिंतित हैं | हम इस पर करीब से नजर रखे हुए हैं कि इस कानून को किस तरह से लागू किया जाएगा | धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और कानून के तहत सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं |

क्यों हो रहा है CAA का विरोध ?

किसी भी नए कानून का विरोध होना एक स्वाभाविक बात है | क्योंकि किसी को धुप पसंद होती है तो कोइ छाँव की तलाश करता है | ठीक उसी प्रकार किसी को CAA भा रहा है तो कोइ इसके आने से घबरा रहा है | विरोध का सबसे बड़ा कारण मुस्लिम समुदाय की अनदेखी को माना जा रहा है | इस नए कानून को एंटी मुस्लिम कानून बताया जा रहा है | बहुत से लोगों का कहना है कि जब नागरिकता देनी है तो उसे धर्म के आधार पर क्यों दिया जा रहा है? इसमें मुस्लिमों को शामिल क्यों नहीं किया जा रहा? इस बात को सुनकर सरकार ने तर्क दिया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इस्लामिक देश हैं और यहां पर गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर सताया जाता है | अब इस बात को लेकर सियासी गलियारा और पूरे भारत में घमसान मचा हुआ है | इसी क्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी के मालिक अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि, ‘इस कानून (सीएए) के साथ, केंद्र की भाजपा सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश से बड़ी संख्या में गरीब अल्पसंख्यकों के भारत आने के गेट खोल दिए हैं। यह 1947 से भी बड़ा माइग्रेशन होगा। कानून-व्यवस्था चरमरा जाएगी। दिल्ली में चोरी, रेप, डकैती जैसे अपराध बढ़ेंगे। सीएए लागू होने के बाद अगर पड़ोसी देशों के डेढ़ करोड़ अल्पसंख्यक भी भारत आ गए तो यह स्थिति ‘खतरनाक’ हो जाएगी।’ वही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘कि अगर किसी को अधिकारों से वंचित किया जाएगा, लोग परेशान होंगे तो हम इसके खिलाफ लड़ेंगे |’ CAA के विरोध की लहर में लहराते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘कि आप क्रोनोलॉजी समझिए, पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे | सीएए पर हमारी आपत्तियां जस की तस हैं | सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता था |’ उधर कांग्रेस ने भी बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है |’ अब आगे क्या होने वाला है यह तो सरकार ही बता पाएगी |

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