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राजभर ने अपने ही नेता को पहचानने से किया इंकारराजभर ने अपने ही नेता को पहचानने से किया इंकार

भारत में रंगो का बड़ा महत्व है तभी तो हर रंग कुछ कहता है | कभी भागवा रंग का गमछा चर्चा में रहता है तो कभी पीला गमछा रहता है | एक चर्चा पीले गमछे को लेकर हो रही है | होगी भी क्यों नहीं ? ये गमछा सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर जी का जो है | ये गमछा तब चर्चा में आया जब ओपी राजभ ने इसपर एक टिप्पड़ी की थी | दरअसल, ओपी राजभर ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली, उसके बाद अपने इलाके में गए तो उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था कि जब भी थाने में जाओ तो सफेद नहीं पीला गमछा लगाकर जाना | इससे दारोगा जी को तुम्हारी शक्ल में ओमप्रकाश राजभर दिखेगा | ऐसा लगता है की शायद सफ़ेद गमछा जल्दी गंदा हो जाता है इसीलिए इन्होने पीला गमछा ले जाने की बात कही होगी | लेकिन कार्यकर्ता तो कार्यकर्ता ही होता है | अब राजभर की बात मानकर उनके कार्यकर्ता फर्रूखाबाद के नवाबगंज में पीला गमछा डालकर थाने पहुँच गए | लेकिन दरोगा जी को ये पीला गमछा इतना अच्छा लगा की उन्होंने उस कार्यकर्ता का गमछा और मोबाइल फ़ोन थाने में रखवा लिया | ऐसा लगता है की दरोगा जी और सुभासपा के कार्यकर्ता के बीच में कुछ-कुछ हो गया होगा |

इस गंभीर मुद्दे पर सीनियर कार्यकर्ता कैसे चुप रह सकते हैं कुछ तो बोलना होगा ही | तब सुभासपा के जिला अध्यक्ष संदेश कश्यप ने बड़ा मजबूर होकर बताया कि, “मेरे एक कार्यकर्ता को किसी बात को लेकर पुलिस थाने बुलाया गया, जहां उनके साथ पुलिसकर्मियों और थाना प्रभारी ने अभद्र व्यवहार करते हुए हमारी पार्टी का गमछा और मोबाइल छीन लिया और हमारी पार्टी के बारे में भी गलत कहा | जब हम थाना अध्यक्ष से बात करने आए तो उनकी भाषा भी अभद्र व्यवहार की रही | आज हम लोग थाना प्रभारी से बात करने आए हैं | अगर थाने की पुलिसकर्मियों थाना प्रभारी की कार्य शैली में सुधार नहीं आया तो हम लोग धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे |” 20-25 रुपये के गमछे के लिए इतना बवाल लेकिन बात मोबाइल फ़ोन की भी तो है |

अब गमछा कब मिलेगा ये तो कह पाना बड़ा कठिन लग रहा है लेकिन इस गमछे को लेकर केर ओपी राजभर ने जो कहा था उसे आप एक बार जरूर सुनिए |

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