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कौन हैं इकरा हसन ?कौन हैं इकरा हसन ?

सियासत की उठक-पटक के बीच अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव के लिए कैराना सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह वही दोस्ती वाली सीट है जिस पर अखिलेश और जयंत के बीच पेच फंसा हुआ था और यह सीट दोनों के दोस्ती के बीच आड़े आ गयी थी। फिलहाल वो पेंच तो नहीं सुलझा और नाही दोस्ती चली | लेकिन इकरा हसन को अखिलेश यादव ने इस सीट से चुनावी मैदान में जरूर उतार दिया। अब सवाल ये उठता है की अखिलेश यादव ने इकरा पर इतना भरोसा कैसे कर लिया और कौन है ये इकरा हसन ? आपको बता दें इकरा हसन ने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से हिस्ट्री में ग्रैजुएशन किया है। जिसके बाद उन्होंने लंदन की एक यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई करते हुए एल एल एम की डिग्री हासिल की है। इकरा हसन पूर्व सांसद तबस्सुम हसन की बेटी हैं और राजनीति इन्हे विरासत में मिली है। उनके परिवार का लंबा राजनीतिक इतिहास है | इकरा हसन की माँ तबस्सुम हसन एक बार बीएसपी जबकि एक बार एसपी आरएलडी गठबंधन से कैराना लोकसभा की सांसद रह चुकी हैं। वहीँ इकरा हसन के दादा अख्तर हसन ने 1984 में कैराना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। इकरा के दादा से लेकर माता-पिता, चाचा-चाची और कजिन तक, सब लोकल चुनाव से लेकर सांसद और विधायक तक निर्वाचित होते रहे हैं | इनका पूरा कुनबा सियासी है | यूपी से हरियाणा तक की पॉलिटिक्स में नाते-रिश्तेदारों का दबदबा रहा है |

आपको बता दें कि इकरा के पिता लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद चारों सदनों के सदस्य रह चुके हैं। इसके लिए उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया था। इकरा एक चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं लेकिन उस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था | इकरा से जुड़ा एक किस्सा है जिसके कारण अखिलेश यादव इकरा पर दांव लगा चुके हैं | दरअसल, किस्सा 2022 के विधानसभा चुनाव का भी है, जब उनके भाई नाहिद हसन जेल में थे। उस दौरान इकरा हसन ने ही अपने भाई के चुनावी प्रचार का जिम्मा संभाला था और उन्हें जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। तभी से इकरा को कैराना में लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने की मांग तेज हो गई थी। कैराना लोकसभा सीट की बात की जाए तो कैराना में 18 लाख के करीब मतदाता हैं। जिसमे करीब साढ़े 5 लाख मतदाता मुस्लिम समुदाय के हैं। कैराना में त्रिकोण राजनीति का मुकाबला हो सकता है जिसमे भाजपा, सपा और बसपा के बीच सीधा मुकाबला होगा | पिछले लोकसभा चुनाव में एसपी, आरएलडी और बीएसपी गठबंधन के बावजूद यह सीट बीजेपी के प्रदीप चौधरी ने जीती थी। वहीं एसपी कैंडिडेट तबस्सुम हसन की हार हुई थी | अब बदलते हुए समीकरण को देखते हुए यही लगता है कि कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हो सकता है | हालांकि उम्मीद यही है कि सपा अकेले दम पर ही चुनाव लड़ेगी। वहीँ इकरा हसन ने कहा है कि, ‘यह उनके परिवार का पहला चुनाव नहीं है। वह मजबूती से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। चुनाव जीतना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।’ अब देखना यह होगा की क्या इकरा हसन अखिलेश यादव के भरोसे को कायम रख पाएंगी ? क्या अपने भाई की तरह खुद को भी जीत दिलवा पाएंगी |

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