जन्मदिन के मौके पर बड़े नायाब और हसींन तोहफ़े मिलते हैं लेकिन जिसका जन्मदिन हो वही तोहफ़ा दे दे तो क्या होगा ? वही होगा जो मंज़ूरे ख़ुदा होगा लेकिन ऐसा ऐसा हुआ नहीं | क्योंकि ऐसा माना जा रहा था की इंडिया गठबंधन को लेकरके मायावती कुछ बड़ा धामका करेंगी और ऐसा ही हुआ | मायावती ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने के कयासों पर पूर्ण विराम लगा दिया | मायावती ने साफ कहा कि बसपा लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी | बसपा किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी | उन्होंने कहा की पार्टी का नेतृत्व दलित हाथों में है हमारा वोट तो सहयोगी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है लेकिन दूसरी जातियों का वोट बसपा को नहीं मिलता | उन्होंने पिछले चुनावों में गठबंधन का उदाहरण भी दिया और अकेले चुनाव लड़कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का भी उदाहरण दिया |
मायावती ने मीडिया को सम्भोधित करते हुए भतीजे अखिलेश को भी खरी-खोटी सूना डाली | क्योंकि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था की कि अगर मायावती की पार्टी गठबंधन में आई तो उनकी पार्टी को भी अपना स्टैंड क्लियर करना पड़ेगा | अखिलेश ने इंडिया गठबंधन से सपा के बाहर जाने तक की बात कह दी थी | इसपर मायावती ने इंडिया गठबंधन की इस बैठक का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव को गिरगिट तक बता दिया | मायावती ने कहा कि कांग्रेस, बीजेपी और इनकी सभी सहयोगी पार्टियों की सोच पूंजीवादी, सामंतवादी और सांप्रदायिक है | यह पार्टियां इन्हें (दलित और अति पिछड़े) अपने पैरों पर खड़ा होते नहीं देख सकती हैं और आरक्षण का भी पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है |
मायावती के संबोधन की शुरुआत में इंडिया गठबंधन के लिए पॉजिटिव साइन था लेकिन उनकी बात जैसे-जैसे आगे बढ़ी तस्वीर उलटी होती चली गई | बसपा प्रमुख ने बीजेपी के साथ ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर भी निशाना साधा और यह ऐलान भी कर दिया कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी से गठबंधन किए बगैर अकेले ही मैदान में उतरेगी | मायावती ने इंडिया गठबंधन की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि सपा प्रमुख ने जिस तरह बसपा प्रमुख को लेकर गिरगिट की तरह रंग बदला है, इससे भी सावधान रहना है. उन्होंने आकाश आनंद को अपना एकमात्र उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद राजनीति से संन्यास की अटकलों पर भी विराम लगा दिया और कहा कि ऐसी खबरों में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है |
आपको बता दें की आज बीएसपी सुप्रीमो मायावती का जन्मदिन है और आज वह 68 वर्ष की हो चुकी हैं | मायावती ने साल 1984 में अपने राजनितिक करियर की शुरुआत की और 1989 में पहली बार सांसद बनी | उत्तर प्रदेश की राजनीति में 1995 में पहली बार मुख्यमंत्री बनी | अब वो एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने की राह पर जा रही हैं | अब देखना यह है की मायावती के इस क़दाम से दलित और अति पिछड़ा वर्ग का वोट कितना बट जाएगा या फिर बीजेपी की हिन्दू निति काम आएगी और भतीजे अखिलेश का क्या होगा |