2024 का लोकसभा चुनाव उत्तरप्रदेश में सभी पार्टयों के लिए टक्कर का चुनाव होगा | भूले भटके लोगों को भी याद किया जाएगा | किसी के आगे हाथ फैलाया जाएगा तो किसी के आगे झोली | अब किसके हिस्से में कितनी सीटें आती हैं ये तो 2024 के चुनाव के परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा | ऐसे में अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का नारा दिया है और यह भी कहा की, “गठबंधन 80 हराओ का नारा देगा, जब 80 हारेंगे तभी भाजपा हटेगी और भाजपा के हटने से ही देश खुशहाली के रास्ते पर जाएगा।” इसी कड़ी में सपा अब ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कर रही जय | उत्तरप्रदेश की 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य बना चुकी है | सियासी गलियारे में जातीय समीकरण ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता है | अगर बात करें की उत्तर प्रदेश में किस जाती का कितना वोट है तो इसमें ब्राह्मण लगभग 30 पर्सेंट है, वहीँ ओबीसी की 37 पर्सेंट, मुस्लिमों की आबाद लगभग 13 पर्सेंट जबकि एससी-एसटी वर्ग की आबादी 15 पर्सेंट है।
ब्राह्मण सम्मेलन में ब्राह्मण क्यों हुए नाराज़
अब ऐसे में यूपी की योगी सरकार भी हिंदुत्व का नारा लेकर के चल रही है जिसमे सभी जातीय समुदाय को जोड़ने का प्रयास हो रहा है | 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी भारत को डेवलप्पड कंट्री बनाने का आश्वासन दे रही है | 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुद्दा राममंदिर भी है और यह बीजेपी के खेमें में वोटो की बढ़ोत्तरी करवा सकता है | अब पीएम का चेहरा किसे चुना जाएगा ये कहना बड़ा कठिन है क्योंकि इण्डिया गठबंधन भी 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी पूरी जान फूंक देगी | एक से बढ़कर एक दिग्गज नेता और पार्टियां इसमें जुड़ी हुई हैं | वहीँ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में अपनी जीत सुनिश्ति करने के लिए इण्डिया गठबंधन को पुनः जुड़ने के लिए कहा है | किस्मे कितना है दम ये तो 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद पता चलेगा | फिलहाल अखिलेश यादव को ब्राह्मण सम्मेलन का कितना लाभ पहुंचेगा ये देखना रोचक रहेगा क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्या के एक पुराने बयान ने जिसमे उन्होंने भ्रह्माणों के लिए कहा था की, ‘ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है |’ अब इसको लेकर ब्राह्मण सम्मेलन में सवाल खड़ा हो गया | मामले को संभालने के लिए अखिलेश यादव ने सभी कार्यकर्ता और पार्टी के नेताओं को हिदायत दी की इस तरह की बयानबाजी से बचे और कोइ भी भड़काऊ टिप्पड़ी ना करें | अब देखना ये है की स्वामी प्रसाद मौर्या में क्या बदलाव आएगा और समाजवादी पार्टी क्या भ्रह्माणों को अपनी तरफ आकर्षित कर पाएगी