अटपटे शौक तो बहुत से लोगों के होते हैं लेकिन कुछ ऐसे शौक होते हैं जिन्हे जानकार आपके होश उड़ जाते हैं | ऐसा ही एक अटपटा शौक हैदराबाद के निजाम नवाब मीर उस्मान अली खान का था | आजादी के वक्त हैदराबाद के निजाम नवाब मीर उस्मान अली खान न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के सबसे रईस आदमी थे | निजाम मीर उस्मान अली कई और चीजों के लिए बदनाम थे | जिसमे से एक किस्से के बारे में हम आपको बताएँगे | आपको बता दें कि इतिहासकार डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब ”फ्रीडम एट मिडनाइट” में लिखते हैं कि हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान को फोटोग्राफी और अश्लील चित्रों को रखने का शौक था | उन्होंने अश्लील फोटो का बड़ा कलेक्शन जमा कर रखा था | निजाम ने अश्लील तस्वीरें इकट्ठा करने के लिए अपने मेहमानों के कमरे की दीवारों और छत में खुफिया कैमरे लगवा रखे थे, जो कमरे में होने वाली एक-एक हरकत की तस्वीरें खींचते रहता था | यहां तक कि निजाम ने गेस्ट रूम के टॉयलेट में भी शीशे के पीछे खुफिया कैमरा लगवा दिये थे | यह कैमरा निजाम के टॉयलेट में निवृत होने वाले मेहमानों की अलग-अलग पोज में फोटो खींचना रहता था और वो अपने दोस्तों से चहक कर इस बारे में बताया करते थे |
वो कहते हैं ना की झूठ या पाप ज्यादा दिनों तक नहीं छिपाता है | निजाम की इन हरकतों की खबर ब्रिटिश हुकूमत को भी थी | उनकी एक-एक हरकत को बाकायदा डॉक्यूमेंट करके रखा गया था | ”फ्रीडम एट मिडनाइट” के मुताबिक जब भारत का बंटवारा तय हो गया तो अंग्रेजों ने भारत के राजा, महाराजा, नवाब और निजाम से जुड़े कुछ खुफिया दस्तावेजों को नष्ट करने का फैसला किया | इन दस्तावेजों में भारतीय इतिहास के अत्यंत तूफानी और रंगीन दस्तानों के रोंगटे खड़े कर देने कारनामे दर्ज थे | ब्रिटिश हुकूमत ने बड़ी जतन से हिंदुस्तान के राजा-महाराजाओं का ब्यौरा इकट्ठा किया था, ताकि जरूरत के हिसाब से उसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सके | जब भारत का बंटवारा तय हुआ तब अंग्रेजों को लगा कि ऐसी फाइलें स्वतंत्र भारत और पाकिस्तान की सरकार के हाथ में बड़ा हथियार बन सकती हैं |
उन दिनों सर कोरनाड कॉरफील्ड वायसराय के सेक्रेटरी हुआ करते थे | उन्होंने लंदन से इजाजत लेने के बाद भारत के कोने-कोने में रखे इन खुफिया दस्तावेजों को नष्ट करवाने का आदेश दे दिया | कम से कम 4 टन दस्तावेज, रिपोर्ट और फाइलें आग की लपट में झोंक दी गईं | इन्हीं रिपोर्ट में निजाम की हरकतों का इतिहास भी जलकर खाक हो गया | डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स लिखते हैं कि जो सीक्रेट दस्तावेज चलाए गए, उन्हें खास तिजोरी में रखा जाता था, जिसकी एक चाबी खुद वायसराय के सचिव के पास रहती थी | करीबन डेढ़ सौ साल से इकट्ठा किए गए इन दस्तावेजों को नष्ट करने की जानकारी जब पंडित नेहरू को मिली तो उन्होंने इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाई | कहा कि यह दस्तावेज भारत की धरोहर हैं और नष्ट नहीं किया जाजा चाहिए, लेकिन अंग्रेज नहीं माने और सब कुछ जला कर ख़ाक कर दिया साथ ही भारत की सबसे कीमती धरोहर को मिटा दिया |