लखनऊ विश्वविद्यालय ने छात्रों के मानसिक, बौद्धिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए बी.ए और बी.एससी के छठे सेमेस्टर में एंथ्रोपोलाजी को जोड़ेगा | इसमें बी.ए और बी.एससी के छात्र- छात्राओं के पास इस विषय को लेने का विकल्प रहेगा। इस विषय के माध्यम से विद्यार्थी ज्वैलरी, हैंडलूम, टेक्सटाइल की डिजाइन आदि में होने वाले बदलाव, मानव संस्कृति को देखते हुए इसकी जरूरत आदि का अध्ययन करेंगे। आपको बता दें अभी बी.ए / बी.एससी एंथ्रोपोलाजी छठे सेमेस्टर में तीन पेपर होते हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलाजी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर केया पांडेय ने बताया कि ह्यूमन ग्रोथ एंड डेवलपमेंट के साथ अब फैशन एंथ्रोपोलाजी पेपर पढ़ने का विकल्प मिलेगा और इसका कोर्स तैयार किया जा चुका है। चल रहे सेमेस्टर परीक्षाओं के बाद इसकी पढ़ाई शुरू होगी।
इस पेपर के माध्यम से छात्रों को यह मालूम होगा की टेक्सटाइल, ज्वेलरी, जूते, कपड़े की डिजाइन में बदलाव, हैंडलूम, डिजाइन का क्या रोल है? छात्र मानव शास्त्री स्किल डेवलप कैसे करें? मानव संस्कृति को देखते हुए किस तरह के बदलाव की जरूरत है। यह सब कुछ इसमें पढ़ सकेंगेऔर साथ ही इसमें यह बताया गया है की टेक्सटाइल डिजाइन को संस्कृति से कैसे जोड़कर रोजगारपरक बनाया जाए। उन्होंने बताया कि भारतीय समाज को देखते हुए किस तरह की ज्वेलरी, डिजाइन, परिधान होने चाहिए, यह भी छात्रों को पढ़ने के लिए मिलेगा। गौरतलब है कि इससे पहले विभाग ने बिजनेस एंथ्रोपोलाजी का पेपर भी शुरू किया था। एम.ए/एम.एससी एंथ्रोपोलाजी चौथे सेमेस्टर में डिजरटेशन के लिए छात्र-छात्राएं कश्मीर की जन जातियों का अध्ययन करने जा सकेंगे। इसकी तैयारी चल रही है। विभाग पीजी के कुछ सिलेबस में बदलाव करके उसे रोजगारपरक बनाने की योजना तैयार कर रहा है। यह विषय संस्कृति पर कितना असर डालेगा और कितना बदलाव होगा यह देखना अभी बाकी है |