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26 अप्रैल को पहलवानों के मामले में आरोप तय किए जाने का वक्त 7 मई को तय होने के बाद उनकी दावेदारी पर संकट खड़ा हो गया।एक तरफ देखा जाये तो एक दांव से भाजपा ने साधे कई निशाने बृजभूषण ने जिस तरह सियासत में कायम रखने की तस्वीर पेश की, उसका प्रभाव भी दिग्गज नेताओं पर साफ दिखाई दे रहा है । माना जा रहा है कि यह कदम पश्चिम में राजपूतों की नाराजगी साधने का दांव भी है।कशमकश, कयासों का दौर खत्म हुआ। भाजपा ने बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया लेकिन उनका दबदबा तो अब भी कायम है । उनके छोटे बेटे करण भूषण को टिकट देकर भाजपा ने अपने इरादे साफ कर दिए, लेकिन जानकारों का कहना है कि टिकट किसी और को नहीं बृजभूषण को ही मिला है। इससे सांसद की पैठ और पकड़ का एहसास भी हुआ।सियासी संग्राम के आगाज के साथ ही दावेदारी के दांव-पेंच से कैसरगंज का मैदान पूरे सूबे में चर्चा का विषय रहा। नामांकन के अंतिम दौर में ऐसा संदेश आया जो कि वाकई में चौंकाने वाला था। बृजभूषण ने जिस तरह सियासत साधे रखने की तस्वीर पेश की, उसका प्रभाव भी दिग्गज नेताओं पर साफ दिखा। माना जा रहा है कि यह कदम पश्चिम में राजपूतों की नाराजगी साधने का दांव भी है। यही नहीं एक ही दांव से मंडल ही नहीं अवध की सियासत को हलचल से बचाने का दांव भी चला।डेढ़ साल से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं बृजभूषण : कैसरगंज केसरी माने जाने वाले बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें साल 2023 की शुरुआत से ही बढ़ने लगीं थीं। कई मौके आए जब विवादों से भी घिरे और कुश्ती से संघ से किनारा करना पड़ा। संसदीय चुनाव का समय आया तो टिकट की खींचतान हो गई।

आपको बता दे कैसरगंज सीट का फैसला भले ही भाजपा ने देर से किया हो लेकिन एक तीर से कई निशाने साधे हैं। सियासत में पहलवानी का दांव तो लगाया ही है साथ ही युवाओं को जोड़ने का प्रयास भी किया गया है । इसके साथ ही सांसद को भी संतुष्ट करके पार्टी ने मजबूती बरकरार रखने का ख्याल भी रखा है। तमाम समर्थको का मानना है की यह फैसला सभी के लिए लाभदायक है। वहीं, भाजपा की इस पहल से से अन्य दलों में भी खलबली मचा दी है ।

भाजपा ने ब्रजभूषण को नहीं बल्कि इस बार उनके बेटे को टिकट देकर उन्हीं पर भरोसा जताया है। कैसरगंज में उनके अच्छे प्रभाव को भुनाने का मौका पार्टी नहीं गंवाना चाहती। देर इसलिए लगाई क्योंकि हरियाणा और पश्चिम में जाट वोटों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी।

भाजपा ने सांसद के बेटे को टिकट देकर उन्हीं पर भरोसा जताया है। कैसरगंज में उनके अच्छे प्रभाव को भुनाने का मौका पार्टी नहीं गंवाना चाहती। देर इसलिए लगाई क्योंकि हरियाणा और पश्चिम में जाट वोटों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी। बूजभूषण ने मानकर भी बेहतर फैसला लिया है। – सूर्य प्रसाद मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार व सेवानिवृत्त प्रवक्तादेश की बेटियां हार गईं, जीत गया बृजभूषण : साक्षी मलिक
कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की जगह उनके बेटे करण सिंह को भाजपा का टिकट मिलने पर ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने निराशा जताई है। साक्षी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा- देश की बेटियां हार गईं, बृजभूषण जीत गया। हम सबने अपना करियर दांव पर लगाया, कई दिन धूप-बारिश में सड़क पर सोये। आज तक बृजभूषण को गिरफ्तार नहीं किया गया। हम कुछ नहीं मांग रहे थे सिर्फ इंसाफ की मांग की थी। गिरफ्तारी छोड़ो आज उसके बेटे को टिकट देके आपने देश की करोड़ों बेटियों का हौसला तोड़ दिया है। टिकट जाएगी तो एक ही परिवार में, क्या देश की सरकार एक आदमी के सामने इतनी कमजोर होती है? प्रभु श्री राम के नाम पर सिर्फ वोट चाहिए, उनके दिखाए मार्ग का क्या

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