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बिहार के बाद झारखंड के सियासी गलियारों में भी हलचल नजर आ रही है। चर्चा है कि हेमंत सोरेन पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बना सकते हैं। ऐसे में लोगों को राबड़ी देवी का सीएम बनना भी याद आ रहा है।कथित जमीन घोटाले के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। लंबे समय से अटकलें ये भी चल रही हैं कि वह अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को राज्य की कमान सौंप सकते हैं। 40 घंटे तक गायब रहने के बाद मंगलवार को जब हेमंत सोरेन विधायकों की बैठक के लिए सर्किट हाउस पहुंचे तो वहां कल्पना भी मौजूद थीं। ऐसे में कयास और तेज हो गए कि हो सकता है जल्द ही हेमंत सोरेन पत्नी को मुख्यमंत्री का पद सौंप दें। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पहले भी इस बात का दावा कर चुके हैं कि हेमंत ने अपने सहयोगी विधायकों को बैग लेकर रांची बुलाया है।कल्पना सोरेन ओडिशा के मयूरभंज के एक कारोबारी घराने से आती हैं। फिलहाल वह अपना एक प्लेवे स्कूल चलाती हैं। उनके दो बेटे निखिल और अंश हैं। उनका जन्म 1976 में रांची में हुआ था। उन्होंने -अपना ग्रैजुएशन रांची से ही पूरा किया। 7 फरवरी 2006 को कल्पना और हेमंत की शादी हुई थी। बताया जाता है कि यह अरेंज मैरेज थी। कल्पना तब भी सुर्खियों में आई थीं जब भाजपा नेता और पूर्व सीएम रघुबर दास ने आरोप लगाया था कि हेमंत सोरेन ने पत्नी के व्यवसाय के लिए प्लॉट आवंटित करने के लिए अधिकारों का दुरुपयोग किया। आरोप था कि आदिवासियों के लिए बनाए गए प्लॉट पूल से कल्पना सोरेन की कंपनी सोहराई प्राइवेट लिमिटेड के लिए जमीन आवंटित करवाई गई।क्यों हो रही राबड़ी देवी से तुलना हेमंत सोरोन ने इस बात से इनकार किया था कि वह पत्नी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देंगे। हालांकि अब सोशल मीडिया पर भी कल्पना सोरेन के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा शुरू हो गई है। वहीं कई लोग उनकी तुलना राबड़ी देवी से भी करने लगे हैं। बात 1996 की है जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। उनपर चारा घोटाला का आरोप लगा और सीबीआई जांच करने लगी। उनपर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। इसके बाद लालू प्रसाद यादव ने राबड़ी देवी को बिहार की मुख्यमंत्री बना दिया।पहली बार 1997 से 1999 तक वह मुख्यमंत्री रहीं। इसके बाद 2000 के विधानसभा चुनाव में फिर से राबड़ी देवी को जीत हासिल हुईं और बिहार की कमान अगले पांच साल तक उनके हाथ में रही। राजनीति के गलियारों में राबड़ी देवी को लेकर काफी तंज भी कसे गए। हालांकि थोड़े ही दिनों में वह मंझी हुई नेता के तौर पर बोलने लगीं। उस समय भी ज्यादातर फैसले लालू यादव ही लिया करते थे। अब अगर राबड़ी देवी और कल्पना सोरेन की तुलना करें तो यह नाइंसाफी भी मानी जाएगी। राबड़ी देवी पूरी तरह से घरेलू महिला थीं। वहीं कल्पना की गिनती पहले से ही बिजनवुमन में होती है।

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