मकर संक्रातिं यानि सर्दियों का अंत और बसंत की शुरूआत .. भारतीय परंपरा में मकर संक्रांति का एक अहम स्थान है …इस पर्व को पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाने की परंपरा है …उत्तर भारत में इसे आम बोलचाल की भाषा में खिचड़ी तो दक्षिण राज्यों में इस पोंगल के रुप में मनाया जाता है…लजीज व्यंजन और दान पुण्य इस पर्व की रौनक बढ़ाता है …भौगोलिक रुप से इस दिन से सूर्यदेव उत्तर गामी हो जाते हैं हर साल में मकर संक्रांति से त्योहार की शुरूआत होती है… पंजाब में लोहड़ी …केरल जैसे राज्यों में पोंगल और उत्तर भारतीय राज्य यानि उत्तर प्रदेश बिहार में खिचड़ी नाम से मनाये जाने वाली मकर संक्रांति का पारंपरिक आध्यात्मिक महत्व माना जाता है …मान्यता है कि खरमास के समापन के बाद करीब एक महीने बाद मकर संक्रांति से हिन्दू धर्म में शुभ कार्यों का शुभारंभ हो जाता है ….मकर संक्रांति से सूर्यदेव के उत्तरगामी होने से दिन लंबा होना शुरू हो जाता है ….इस दिन तालाब सरोवरों में स्नान करना … सूर्यदेव को जल अर्पित करना …दान पुण्य करने के बाद भोजन ग्रहण काफी शुभकारी माना जाता है ..हर साल 14 जनवरी को मनाये जाने वाली खिचड़ी पर्व जो की आज यानी पंद्रह जनवरी को इस पर्व को उत्तर भारत में जगह जगह मनायाजा रहा है …इस पर्व में संगम नगरी की रौनक देखते बनती है …गंगा जमुना सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिये लाखों लोगों का तांता लगा रहता है …इस मौके पर तिल गुड़ चावल से बने पकवानों का खास महत्व होता है …उत्तर प्रदेश की हीं तरह बंगाल में गंगा सागर में स्नान दर्शन को हिन्दू धर्म के लोग काफी पुण्यकारी मानते है …कहते हैं इसी दिन मां यशोदाने भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिये व्रत रखी थी ।कहा तो ये भी जाता है कि इसी दिन मां गंगा भगीरथ के पीछे चलते हुये कपिल मुनि के आश्रम से होते हुये गंगा सागर में जा मिली थीं … असम में इस दिन को माघ बिहू और भोगाली बिहू के रुपे में मनाते है ..राजस्थान में इस दिन बहुयें अपनी सास को मिठाई फल भेंटकर आशिर्वाद लेती है …
आप सभी को मकसंक्रांति की मय भारत न्यूज़ की तरफ से ढेर सारी शुभ कामनाये