तुम कहते रहो हम सुनते रहे , तुम सुनते रहो हम सुनाते रहे | कुछ ऐसा ही हाल स्वामी प्रसाद मौर्य का है | समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बार-बार समझाने के बावजूद भी उनकी पार्टी के बड़े नेता बात को समझ नहीं पा रहे हैं और एक के बाद एक विवादित टिप्पड़ी करते जा रहे हैं | अब ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है की क्या अखिलेश यादव वाकई में सपा प्रमुख हैं या फिर सिर्फ नाम के ? मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से ही सब कुछ बदला हुआ है | जो समाजवादी पार्टी के लिए जान थें अब वो पार्टी के लिए अनजान बनते दिख रहे हैं | इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के शुभचिंतक प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से विवादित बयान दे दिया है | इस बयान में उन्होंने कहा, ‘तत्कालीन सरकार ने अमन चैन के लिए गोली चलवाई थी | स्वामी का कहना था कि सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया था |’ उन्होंने कारसेवकों को अराजतक तत्व बताया और यह भी बताया कि तत्कालीन सपा सरकार ने कारसेवकों पर गोली क्यों चलवाई थी? स्वामी प्रसाद ने कहा, जिस समय अयोध्या में राम मंदिर पर घटना घटी थी, वहां पर बिना किसी न्यायपालिका या प्रशासनिक के आदेश के बड़े पैमाने पर अराजतक तत्वों ने तोड़फोड़ की थी | स्वामी प्रसाद ने आगे कहा, तत्कालीन सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए, अमन-चैन कायम करने के लिये गोली चलवाई थीवो सरकार का अपना कर्तव्य था और सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया था |
आपको बता दें की पहली बार 30 अक्टूबर, 1990 को कारसेवकों पर चली गोलियों में 5 लोगों की मौत हुई थी | इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल पूरी तरह से गर्म हो गया था | इस गोलीकांड के दो दिनों बाद ही 2 नवंबर को हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी के करीब पहुंच गए थे | इस घटना के दो साल बाद 6 दिसंबर, 1992 में विवादित ढांचे को गिरा दिया गया था | साल 1990 की घटना के 23 साल बाद जुलाई 2013 में मुलायम सिंह यादव ने एक बयान में कहा था कि उन्हें गोली चलवाने का अफसोस है, लेकिन उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं था | अब इन सब बयानों को लेकर विवाद शुरू हो चूका है | ऐसा लगता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य घर का भेदी लंका ढाहे वाली कहावत को पूरा करते वाले हैं | अब इस बयान पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की प्रतिक्रया आना बाकी है | क्या होगी प्रतिक्रया और उनके नेता उनकी कितना सुनेंगे ये तो वक़्त ही बताएगा |