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लखनऊ। सरकारी व निजी स्कूलों में विद्यार्थियों के दोपहिया व चार पहिया वाहन लाने पर सख्ती की जाएगी। विद्यालयों में रोड सेफ्टी क्लब बनाए जाएंगे। सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने को प्रत्येक कक्षा में एक विद्यार्थी को रोड सेफ्टी कैप्टन बनाया जाएगा। यह प्रत्येक सप्ताह में कम से कम एक पीरियड में विद्यार्थियों को सड़क दुर्घटनाओं के प्रति जागरूक करेंगे।

वहीं सड़क सुरक्षा के लिए हर स्कूल में नोडल शिक्षक भी बनाए जाएंगे और परिवहन विभाग के सहयोग से इन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव के मुताबिक 899 राजकीय इंटर कालेजों को रोड सेफ्टी क्लब बनाने के लिए 50-50 हजार रुपये की धनराशि दी जा रही है। वहीं 2,373 सरकारी माध्यमिक स्कूलों को पांच-पांच सौ रुपये यातायात नियम दीवारों पर लिखवाने के लिए दिए गए हैं।

सात जनवरी तक विद्यालय प्रबंधन के साथ मिलकर परिवहन विभाग विशेष अभियान चलाएगा और ऐसे विद्यार्थियों की गाड़ी का चालान करेगा जो नियम विपरीत विद्यालय में वाहन लेकर आ रहे हैं। हर तीन महीने में विद्यालय परिवहन सुरक्षा समित की बैठक होगी। वहीं जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हर साल जनवरी व जुलाई में सभी स्कूलों की बैठक होगी।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकारी संरक्षण आयोग की सदस्य डा. शुचिता चतुर्वेदी की ओर से पत्र लिखकर सचेत किया गया है कि बिना ड्राइविंग लाइसेंस के बड़ी संख्या में विद्यार्थी स्कूलों में दोपहिया वाहन और चारपहिया वाहन लेकर आ रहे हैं।

उन्होंने केजीएमयू व डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर यह भी जानकारी दी है कि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले 40 प्रतिशत तक नाबालिग बच्चे जिनकी आयु 12 वर्ष से 18 वर्ष के बीच होती है। सिर्फ 16 वर्ष से अधिक उम्र के किशोर को 50 सीसी से कम क्षमता के इंजन वाली मोटरसाइकिल चलाने की छूट है।

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