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अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति का पितामाह माना जाता है

सरकारे आएंगी जाएंगी पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए ये लाइन भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था अटल जी एक सम्मानजनक व्यक्ति और भारत के महानतम राजनेताओं में से एक थे. वे अपने राजनीतिक दृढ़ संकल्पों और राजनीतिक समझ के साथ-साथ अपने भाषण देने के अंदाज और कविता के कारण भी जाने जाते थे. अटल बिहारी बाजपेयी को भारतीय राजनीति का पितामह माना जाता है. इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्राप्त करने वाले और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में रहते हुए एक विशिष्ट और सराहनीय मुकाम को हासिल किया था. ये भारतीय जनता पार्टी की ओर से देश के सबसे सराहनीय प्रधानमंत्री रहे. अटल जी ने कहा था , मेरे प्रभु । मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना। गैरो को गले न लगा सकू। ऐसी रुखाई कभी मत देना
आज हम आपको उनसे जुड़े कुछ रोचक पहलुओं के बारे में जानकारी देंगे ।

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 ई० को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था. उनके पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई थी. उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एम.ए किया था.

  1. अटल बिहारी वाजपेयी ने लॉ की पढ़ाई अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से की थी. दोनों ने एक ही कक्षा में लॉ की डिग्री हासिल की और इस दौरान दोनों एक ही साथ हॉस्टल में भी रहे थे.
  2. अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार ‘बाप जी’ कहकर बुलाते थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में एक भाषण के दौरान उन्हें भारतीय राजनीति का ‘भीष्म पितामाह’ कहा था. उन्होंने शादी नहीं की थी परन्तु एक लड़की को गोद लिया था जिसका नाम नमिता है. अटल जी का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन उन्हें मांस-मच्छी खाने का बहुत शौख था. वह प्रोन्स खाने के शौकीन थे. पुरानी दिल्ली का करीम होटल उनका पसंदीदा मांसाहारी होटल था
  3. अटल बिहारी वाजपेयी जी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आ गए थे. और 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन में उन्होंने भी भाग लिया था और 24 दिन तक कारावास में रहे थे. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी. वे 10 बार लोकसभा में और 2 बार राज्यसभा में सांसद रहे. वही आपको बता दें कि वे एकमात्र ऐसे सांसद है जो चार अलग-अलग राज्यों दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से सांसद बने थे. 6 अप्रैल 1980 ई० में उनको भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया था.
  4. उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की और अनेकों पुस्तकों की रचना की. उनको कविताओं से भी खासा लगाव रहा. वह अपने विचारों को कई बार कविताओं के माध्यम से भी सामने रखते थे. वे एक कुशल वक्ता हैं और उनके बोलने का ढंग भी बिलकुल अलग था . वे दो मासिक पत्रिकाओं “राष्ट्रधर्म” और “पांचजन्य” के संपादक रहे. साथ ही दो दैनिक समाचार पत्र “स्वदेश” और “वीर अर्जुन” के भी संपादक रहे. उनकी कविताओं में से सबसे बेहतरीन रचना “मेरी इकयावन कविताएं” हैं.
  5. अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. किन्तु उस बार इनको संख्या बल के आगे त्याग-पत्र देना पड़ा था. 19 मार्च 1998 को पुनः अटलजी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी और फिर 13 अक्टूबर 1999 को अटलजी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वे 1997 में जनता पार्टी सरकार से विदेश मंत्री बने और संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सत्र में उन्होंने हिंदी में अपना भाषण भी दिया था.
  6. अटल बिहारी वाजपेयी एक दिग्गज नेता थे और साथ ही उन्होंने विरोधी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल किया था. यहाँ तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भविष्यवाणी करते हुए कह दिया था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री होंगे. जब वे विदेश मंत्री बने थे तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में भाषण दिया था और ऐसा करने वाले वे देश के प्रथम नेता थे.
  7. वर्ष 1971 में जब बांग्लादेश का विभाजन हुआ, तो उसमें इंदिरा गांधी के प्रतिनिधित्व में भारत की जो भूमिका रही, उससे प्रभावित होकर अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें “साक्षात दुर्गा” की उपाधि दी थी. इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास दिलाने वाले भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ही थे. अनेक अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बाद भी उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण को करवाया और भारत को एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाया. पूर्व राष्ट्रपति नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे. पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए, उन्होंने 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक सदा-ए-सरहद नाम की एक बस सर्विस शुरू की थी जिसमें उन्होंने भी एक बार यात्रा की थी.
  8. , अटल बिहारी वाजपेयी को कई बार सम्मनित किया जा चुका है. उन्हें 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार और गोविंद वल्लभ पंत जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया. उनको दिसम्बर, 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया.
  9. अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सड़क मार्गों के विस्तार से स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना को प्रारंभ किया था. उनके कार्यकाल में भारत में इतनी सड़कों का निर्माण हुआ जितनी शेरशाह सूरी के शासनकाल में हुआ था. उन्होंने 100 साल पुराने कावेरी जल विवाद को भी सुलझाया था.

सन 2000 में उनका स्वास्थ्य बिगड़ाना शुरू हो गया था, 2001 में उनके घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई, 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया था जिसके कारण वे ठीक से बात चीत नहीं कर पाते थे और काफी लंबे समय बीमार रहने के बाद 16 अगस्त 2018 में उनका निधन हो गया. इसमें कोई शक नहीं हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के महान और दिग्गज नेता थे जिन्होंने देश को नई उचाईयों पर पहुंचाया और उनके काम को पूरी दुनिया सराहती है. इतना ही नहीं वे लोकप्रिय राजनेता, ओजस्वी कवि, सम्मानपूर्वक समाजसेवी और एक नरम हिंदूत्व के रूप में उनके व्यक्तित्व की कई छवियां हैं.

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