उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने 10 आईएएस अफसरों के तबादले के साथ ही उत्तर प्रदेश की अफसर शाही को संकेत दे दिए हैं कि काम को लेकर किसी भी ढीला ढाली बर्दाशत नहीं की जाएगी.योगी सरकार की ओर से किए गए 10 अफसरों में सबसे ज्यादा नाम चर्चा में 2 आईएएस अधिकारियों के हैं.ये दो नाम हैं अपर मुख्य सचिव ऊर्जा पद से हटाए गए अरविंद कुमार और अपर मुख्य सचिव वित्त के पद से हटाए गए संजीव मित्तल के.

आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार और राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के बीच कुछ समय पहले ही बातचीत में कई बार तल्खी देखने को मिल चुकी है.चाहे वो बिजली विभाग में निजीकरण का मामला हो या हाल ही में बिलिंग की समस्या को लेकर ऊर्जा मंत्री के ट्वीट का.

जुलाई 2018 में बिलिंग एजेंसियों से हुए करार के मुताबिक 8 महीने में शहरी व 12 महीने में ग्रामीण क्षेत्रों में 97 प्रतिशत डाउनलोडेबल बिलिंग होनी थी.लेकिन आज भी ये 10.64 फीसदी ही है. ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बिजली विभाग की ओर से की गई इसे घोर लापरवाही बताया था. ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अपने ट्वीट में सीएम योगी, यूपी भाजपा और यूपी सरकार को भी टैग किया था.इससे पहले 5 अक्टूबर 2020 को जब विद्युत विभाग में बिजलीकर्मियों ने कार्य बहिष्कार किया तब भी ये तल्खी साफ दिखी थी.

वहीं अपर मुख्य सचिव वित्त के पद से हटाए गए संजीव मित्तल का नाम भी काफी चर्चा में है.जिसकी वजह ये रही की केन्द्र सरकार की ओर पेश किये गए बजट के कुछ समय बाद ही योगी सरकार का बजट आने को है उस समय अपर मुख्य सचिव वित्त का बदला जाना.असल मे संजीव मित्तल के खिलाफ वित्तीय प्रावधान के बावजूद वित्तीय आवंटन से जुड़े प्रस्ताव लटकाने की शिकायतें आम हो गयी थी.जिससे सीएम योगी न अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सीएम योगी ने उनकी कार्यशैली को लेकर भी हिदायत दी थी. निवेशकों के वित्तीय प्रोत्साहन से जुड़े प्रस्तावों को लटकाने पर भी सीएम योगी ने टिप्पणी की थी. निवेशकों के मामले में तो खुद मुख्य सचिव को भी अपर मुख्य सचिव को कड़े शब्दों में पत्र लिखना पड़ा था.

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