सर्दी आते ही लोगों को सड़कों पर चलने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है ऐसा इसलिए कहा जा रहा क्योंकि सर्दियों में लोगों के लिए कोहरा एक आम परेशानी है लेकिन इसके साथ ही अगर प्रदूषण भी अपना असर दिखा दे तो सड़कों पर विजिबिलिटी काफी कम हो जाती है.आपको बता दें कि दिल्ली के पालम में सोमवार को जीरो-मीटर विजिबिलिटी दर्ज की गई.यानी कोहरा अपने इतने चरम पर था कि पास खड़े व्यक्ति का चेहरा भी ठीक से नहीं दिख पाए.वहीं, सफदरजंग में 200 मीटर की विजिबिलिटी दर्ज की गई.मतलब, 200 मीटर तक ही साफ दिखाई दे रहा था.जबकि, सामान्य आंखों के लिए 10 किमी की विजिबिलिटी को अच्छा माना जाता है,आमतौर पर प्रदूषण और सर्दियों के मौसम में कम विजिबिलिटी होती है..

लेकिन ये कम विजिबिलिटी क्या होती है? इसे कैसे मापा जाता है? ये कितनी खतरनाक होती है? आइए समझते हैं.
आसान शब्दों में कहें तो विजिबिलिटी का सीधा अर्थ है कि आप कितनी दूर तक देख पा रहे हैं. लेकिन इसकी वैज्ञानिक भाषा भी है, जो मौसम विभाग ने तय कर रखी है.मौसम विभाग के मुताबिक विजिबिलिटी का मतलब है कि दिन के समय कोई व्यक्ति खुली आंखों से कितनी दूर तक डार्क ऑब्जेक्ट को देख पा रहा है.इसी तरह, रात के समय कोई व्यक्ति खुली आंखों से कितनी दूर तक कितने लाइट ऑब्जेक्ट को देख पा रहा है.

विजिबिलिटी मापने का तरीका है गजब का-
एक्सपर्ट्स का कहना है कि विजिबिलिटी कितनी है, इसको मापने के लिए एक खास तरह का इंस्ट्रूमेंटस होता है.मौसम विभाग विजिबिलिटी को नापने के लिए दृष्टि नाम की एक डिवाइस का यूज करता है.ज्यादातर इसे एयरपोर्ट पर लगाया जाता है, इसकी सहायता से होरिजेंटल विजिबिलिटी मापी जाती है.इससे पता लगाया जाता है कि सामने की तरफ कितनी दूर तक देखा जा सकता है.
कितनी खतरनाक होती है कम विजिबिलिटी?
उत्तर प्रदेश के संभल में घने कोहरे की वजह से दिसंबर में एक रोडवेज बस और गैस टैंकर में टक्कर हो गई.इस टक्कर में 12 लोगों की मौत हो गई.वहीं बीती रात को कानपुर के घाटमपुर में एक तेज रफ्तार ट्रक व वैन में भीषण टक्कर हो गयी जिसमें करीब आधा दर्जन शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गयें वहीं वैन चालक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है.ये वो सड़क हादसे हैं जो कम विजिबिलिटी या घने कोहरे की वजह से हुए हैं.हमारे देश में ऐसे लाखों सड़क हादसे होते हैं जिनमे कई लोगों की मौत हो जाती है.बेहद ही चिंताजनक बात तो ये है कि इसका आंकड़ा निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है.

सड़क परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, 2019 में कम विजिबिलिटी की वजह से देश में 33 हजार 602 सड़क हादसे हुए थे, जिसमें 13 हजार 405 मौतें हुई थीं.जबकि 2018 में 28 हजार 26 हादसों में 11 हजार 841 जानें गई थीं.मतलब, एक साल में सड़क हादसों में 20% और 14% की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई.
सबसे ज्यादा मौतें यूपी में, बिहार दूसरे नंबर पर
उत्तर भारत में हर साल दिसंबर और जनवरी के महीने में घने कोहरे की समस्या रहती है.यही वजह है कि हर साल इस वजह से होने वाले सड़क हादसे और मौतें भी इन दो राज्यों में सबसे ज्यादा दर्ज होती हैं.
2019 में सबसे ज्यादा 8 हजार 31 सड़क हादसे उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए थे, जिनमें 4 हजार 177 लोगों की जान गई थी.वहीं इस मामले में दूसरे नंबर पर बिहार राज्य था.जहां 2 हजार 781 हादसों में 1 हजार 884 लोगों की मौतों की पुष्टि हुई थी.
घने कोहरे के चलते डिले होती हैं कई ट्रेनें-हमारे देश में ट्रेनों का डिले होना कोई नयी बात नहीं है लेकिन इसकी भी एक वजह रहती है घने कोहरे का होना. 20 नवंबर 2019 को लोकसभा में कोहरे के कारण ट्रेनों में होने वाली देरी को लेकर एक सवाल किया गया था.जिसका जवाब रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दिया था..

इस जवाब में रेल मंत्री ने माना था कि हर साल देश के उत्तरी इलाकों में सर्दी के महीनों में कोहरे के दौरान बड़ी संख्या में गाड़ियां प्रभावित होती हैं.लेकिन अब कोहरे की वजह से ट्रेन के डिले होने में काफी कमी आई है.2018-19 में 5% से ज्यादा ट्रेनें कोहरे की वजह से डिले हुई थीं.जबकि इससे पहले 2017-18 में 15% से ज्यादा ट्रेनें डिले हुई थीं.लेकिन इस कमी के कम होने का एक कारण ये रहा कि अब कोहरे का असर ट्रेनों पर न पड़े, इसके लिए लोको पायलटों को फॉग पास डिवाइस दी गई है.

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