दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल रियासी में बनकर तैयार,पुल बनने से पड़ोसी देश की बढ़ी चिंता – – –

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दुनिया का सबसे ऊंचा पुल बनकर तैयार हुआ जम्मू के रियासी में

सोमवार को देश में बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का मुख्य आर्च का काम पूरा हो गया है..ये ब्रिज जम्मू कश्मीर के रियासी ज़िले में बना है.भारत का चिनाब ब्रिज एफ़िल टॉवर से भी ऊंचा है. स्ट्रेटजिक महत्व के इस ब्रिज के बन जाने से अब पूरी कश्मीर घाटी देश बाक़ी हिस्सों से जुड़ जाएगी.

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चिनाब आर्च के ऊपर बन रहे पुल से जुड़ेगा ये पुल

दरअसल ये ब्रिज जम्मू के ऊधमपुर से लेकर कश्मीर के बारामूला तक बन रही रेल लाईन यूएसबीआरएल प्रॉजेक्ट का हिस्सा है.इस रेल लाईन के बन जाने से भारतीय सेना को भारत चीन बॉर्डर तक पहुंचने में न सिर्फ़ सहूलियत होगी बल्कि चार से पांच घंटे की बचत भी होगी.ज़ाहिर है ये ख़बर चीन को परेशान करने वाली है.

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ब्रिज को बनाने के लिए इतिहास की अब तक की सबसे ऊंची क्रेन का किया गया है इस्तेमाल

इस ब्रिज को बनाने के लिए भारतीय रेलवे के इतिहास की अब तक की इस सबसे ऊंची क्रेन का इस्तेमाल किया गया है.इससे, आसमान में क्रेन के रोपवे से लटक कर जाते भारी स्टील के ब्रिज सेग्मेंट अपनी निर्धारित सटीक जगह पर रख दिए गए.अब रेल लाईन का ये डेक आगे बढ़ेगा और चिनाब आर्च के ऊपर बन रहे पुल से जुड़ जाएगा जिसके ऊपर रेल लाईन बिछाई जाएगी.

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कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश को रेलवे लाइन से जोड़ने वाली रेल प्रोजेक्ट का नाम ऊधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक है

कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश को रेलवे लाईन से जोड़ने वाली रेल प्रॉजेक्ट का नाम है ऊधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक यानी यूएसबीआरएल.चिनाब ब्रिज इसी का एक हिस्सा है जो क़रीब 1400 करोड़ रूपए की लागत से बना है और पूरी रेल लाईन प्रॉजेक्ट 28 हज़ार करोड़ रूपए में बन कर तैयार होगी. 272 किलोमीटर की इस रेल लाईन परियोजना को राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है.

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रेलवे ने दावा करते हुए कहा है किसी भी आतंकी हमले से नहीं होगा पुल का नुकसान

ये प्रॉजेक्ट अगले दो से तीन सालों में पूरा हो जाएगा.इस प्रॉजेक्ट के तीन हिस्से हैं, पहला और तीसरा हिस्सा चालू हो चुका है और सबसे मुश्किल बीच का हिस्सा यानी कटरा से बनिहाल तक का 111 किलोमीटर का हिस्सा अभी बन रहा है.पहला हिस्सा ऊधमपुर- कटरा तक का है. और तीसरा हिस्सा कांजीकुंड श्रीनगर बारामूला का है.

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पुल का तीसरा हिस्सा कांजीकुंड श्रीनगर बारामूला का है

रेलवे का दावा है कि किसी आतंकवादी ब्लास्ट के हमले में भी इसे नुक़सान नहीं होगा.एक स्पैन ध्वस्त हो जाने पर भी ये काम करता रहेगा. इसपर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से ट्रेन चलेगी. 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चलने वाली हवा को भी ये बर्दाश्त कर सकता है.इसकी अनुमानित उम्र 120 वर्ष है. इसे सबसे अधिक तीव्रता वाले ज़ोन-5 के भूकम्प बलों को बर्दाश्त करने योग्य बनाया गया है. किसी बड़े भूकंप में भी इसे न्यूनतम नुक़सान ही पहुंचेगा.