इजरायल और आतंकवादी संगठन हमास के बीच 11 दिनों तक चले युद्ध संघर्ष के नतीजे अब आ गए हैं. ये संघर्ष क्रिकेट के एक मैच की तरह टाई हो गया है. यानी हमास के साथ युद्धविराम पर इजरायल ने सहमति दे दी है. लेकिन इस युद्ध के टाई होने के बावजूद दोनों पक्ष अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.

ऐसा कहा जा रहा है कि मिस्र और अमेरिका ने युद्धविराम के लिए इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता की और इजरायल ने भी युद्धविराम के प्रस्ताव को सहमति दे दी. हालांकि इसके पीछे वजह ये बताई जा रही है कि इजरायल पर गाजा पट्टी में हवाई हमलों को लेकर भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव था, जो देश पहले इजरायल के समर्थन में थे, उन देशों ने गाजा में इजरायल के हवाई हमलों के बाद अपना रुख बदला और इजरायल पर दबाव बनाया. इसी दबाव ने इजरायल को युद्ध विराम पर सहमति देने के लिए मजबूर किया.

जबकि हमास पर भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की तरफ से दबाव बढ़ रहा था कि वो फिलिस्तीनी अरब लोगों की आड़ में इजरायल के नागरिकों पर रॉकेट दागने बन्द करे. यानी दोनों पक्षों पर दबाव था और इसीलिए 11 दिनों के बाद युद्ध विराम पर सहमति बन पाई. लेकिन ये युद्धविराम कब तक रहता है, ये एक बड़ा प्रश्न है.

इजरायल दावा कर रहा है कि जीत उसकी हुई है, जबकि हमास के लड़ाके गाजा पट्टी में जीत का जश्न मना रहे हैं. तो युद्ध में जीत किसकी हुई. आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे. आप कुछ आंकड़ों से समझ सकते हैं कि 11 दिनों तक चले इस संघर्ष में जीता कौन. इससे दोनों पक्षों को हुए नुकसान से समझ सकते हैं.

इजरायल ने दावा किया है कि उसने हमास के लगभग 250 लड़ाकों को मार दिया है. उसके टनल नेटवर्क को बर्बाद कर दिया है और उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी नुकसान पहुंचाया है.इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का दावा है कि इजरायल ने हमास को कई वर्ष पीछे धकेल दिया है. हालांकि इजरायल ने भले हमास को भारी नुकसान पहुंचाया लेकिन वो अपने लक्ष्य में कामयाब नहीं हुआ. वो ना तो हमास पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर पाया और ना ही उसकी युद्ध क्षमता को पूरी तरह नष्ट कर पाया. और इसके भी कई कारण हैं- हमास के पास अब भी लगभग 50 हजार लड़ाके गाजा पट्टी में मौजूद हैं.

हमास के पास हजारों रॉकेट का जखीरा है. हमास कल रात तक इजरायल पर रॉकेट दाग रहा था. यानी हमास ने दिखा दिया कि वो कमजोर है लेकिन वो फिर भी रॉकेट दाग कर इजरायल को परेशान कर सकता है.
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