सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में देशद्रोह कानून पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया कि जब तक केंद्र द्वारा कानून की समीक्षा पूरी नहीं हो जाती, तब तक देशद्रोह का कोई भी मामला दर्ज नहीं होगा.

आपको बता दें कि, ये कानून IPC की धारा 124 A में निहित है.चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि जब तक केंद्र द्वारा देशद्रोह के प्रावधान की समीक्षा पूरी नहीं हो जाती, तब तक सरकारों को देशद्रोह के प्रावधान का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. एक अंतरिम आदेश में, पीठ ने कहा कि देशद्रोह के प्रावधान के तहत कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जानी चाहिए और पहले से ही जेल में बंद लोग राहत के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि,देशद्रोह के अपराध के लिए एफआईआर दर्ज करने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि ऐसा प्रावधान एक संज्ञेय अपराध से जुड़ा है 1962 में इसको एक संविधान बेंच ने बरकरार रखा था.लंबित राजद्रोह के मामलों के संबंध में केंद्र ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई तेज की जा सकती है क्योंकि सरकार को हर एक मामले में अपराध की गंभीरता का पता नहीं होता,ऐसे मामलों में आतंक या मनी लॉंड्रिंग एंगल भी हो सकता है.
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