कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात…

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किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं. नहीं तो हम लगा देंगे. नए कृषि कानूनों और किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. आपको बताएं कि किसानों का प्रदर्शन अभी भी पिछले करीब 47 दिनों से जारी है और किसान लगातार कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इस बीच सरकार और किसान नेताओं के बीच 8 दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक कृषि कानूनों को लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाया है और सरकार व किसान अपने-अपने फैसलों को लेकर अडिग नजर आ रहे हैं.

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चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े

चीफ जस्टिस ने जताई नाराजगी

याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा, ‘आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं. नहीं तो हम लगा देंगे.’ सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने नाराजगी व्यक्त की और कहा कि ‘जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें पता नहीं कि सरकार कैसे इस मसले को डील कर रही है और क्यों अभी तक किसानों को संतुष्ट नहीं कर सकी है? कानून बनाने से पहले सरकार ने किससे चर्चा की?साथ ही कहा जा रहा है कि बात हो रही है,लेकिन क्या बात हो रही है ये कौन जानता है ?

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किसान

आपको बताएं कि केन्द्र सरकार ने किसानों को लेकर संसद में तीन बिल पास कराए हैं जिन पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब ये तीनों बिल नए कानून बन चुके हैं.इन बिलों के विरोध में केन्द्र सरकार के खिलाफ तमाम विपक्षी पार्टियों व किसानों ने अपना विरोध जाहिर किया है.साथ ही किसानों ने पंजाब से लेकर दिल्ली तक रेल रोको के अलावा तमाम कई तरीकों से इन कानूनों का विरोध किया है.आइए जानते हैं क्या हैं ये तीन नए कानून ?

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किसान आंदोलन

पहला बिल-सरकार की ओर से इस बिल को लेकर जो मंशा जाहिर की गई हैं उसमें कहा गया है कि देश का हर एक किसान अब अपनी फसल को पूरे देश में कहीं पर भी बेचने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है.जिसमें किसानों को सहयता देते हुए इस बात का ध्यान दिया गया है कि किसान अब अपनी फसल के लिए अलग-अलग जगहों पर मार्केटिंग करने से बचेगा साथ ही परिवहन के साधनों पर होने वाले खर्च से भी बच सकेगा.

दूसरा बिल-इस बिल में सरकार ने कृषि करारों पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रोविजन किया है.जिसमें बताया गया है कि इस बिल से कृषि पैदावारों की बिक्री,फॉर्म सर्विसेज,कृषि बिजनेस फर्मों,थोक विक्रेताओं,बड़े खुदरा विक्रेताओं और एक्सपोर्टर्स के साथ किसानों को जोड़ने के लिए मजबूत करता है.बिल के आने से किसानों को क्वालिटी वाले बीजों की सप्लाई के साथ ही तकनीकी मदद,कर्ज की सहूलियत और फसल की सहूलियत मुहैया कराई गई है.

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किसानों का विरोध

तीसरा बिल- इस बिल में अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल और आलू-प्‍याज को जरूरी चीजों की लिस्ट से हटाने का प्रावधान किया गया है. माना जा रहा है कि बिल के आ जाने से किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी क्योंकि बाजार में मुकाबला बढ़ेगा तो किसान अपनी-अपनी फसल की कीमतों को बढ़ाने या कम करने के लिए स्वतंत्र होंगे.

क्यों कर रहें हैं किसान आंदोलन ?

किसान आंदोलन

इन बिलों को लेकर किसान और विपक्षी पार्टियों का कहना है कि सरकार मंडी व्यवस्था को खत्म करके किसानों को MSP  से खत्म करना चाहती है. जिसके चलते किसानों को डर है कि उन्हें उनकी फसलों पर मिलने वाला MSP खत्म कर दिया जाएगा.वहीं इसके विपरीत केंद्र सरकार ने इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि किसानों का MSP पूरी तरह से सुरक्षित है.