कोरोना महामारी के दौरान देशभर में अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है. महाराष्ट्र, यूपी में कोरोना ने तांडव मचा रखा है. हॉस्पिटल में बेड की काफी किल्लत है, लोगों को ऑक्सीजन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. ऐसे हालातों में कुछ लोगों ने आपदा को अवसर बना लिया है…और जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं…तो वहीं इस बीच कुछ लोग ऐसे भी है.जो इस महामारी में मसीहा बनकर सामने आए हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं.नागपुर के रहने वाले प्यारे खान… संतरे बेचने से शुरुआत कर ऑटोरिक्शा तक चला चुके प्यारे खान अब एक बड़े ट्रांसपोर्टर हैं। संकट की इस घड़ी में वो एक हफ्ते में 85 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं, जिससे 400 मीट्रिक टन ऑक्सिजन अस्पतालों तक पहुंच चुका है.

प्यारे खान आज एक बड़े ट्रांसपॉर्टर हैं। उनके पास 300 ट्रकें हैं। 400 करोड़ कीमत की कंपनी के मालिक प्यारे करीब 2 हजार ट्रकों के नेटवर्क को मैनेज करते हैं, जिसके दफ्तर नेपाल, भूटान, बांग्लादेश में हैं। ऑक्सिजन सप्लाई के लिए उन्होंने सरकार से भी कोई मदद नहीं ली और सारा खर्च खुद ही वहन कर रहे हैं। वह इसे रमजान के पवित्र महीने के दौरान ‘जकात’ या दान के तौर पर मानते हैं।
प्यारे अभी तक नागपुर सहित अन्य जगहों पर अस्पतालों में ऑक्सिजन सिलिंडर्स की सप्लाई करा चुके हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर, भिलाई, राउरकेला जैसी जगहों पर सप्लाई करा चुके हैं। उनकी इस पहले में AIIMS सहित अन्य अस्पतालों में 50 लाख रुपये की कीमत के 116 ऑक्सिजन कॉन्सेंट्रेटर्स शामिल हैं।
नागपुर के हीरो बनकर उभरे प्यारे खान के पिता ताजबाग इलाके की झोपड़ियों में रहते थे। प्यारे ने 1995 में नागपुर रेलवे स्टेशन के सामने संतरे बेचने से अपने धंधे की शुरुआत की थी। वह ऑटोरिक्शा चलाने के साथ ही आर्केस्ट्रा कंपनी में भी काम कर चुके हैं.अपनी मेनहत के बल पर आज प्यारे खान 400 करोड़ रुपये कीमत की ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक है. माई भारत प्यारे खाने के जज्बे को सलाम करता है.
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