प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के जनपथ, अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर से ‘उत्कल केशरी’ डॉ हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्तक ‘ओडिशा इतिहास’ के हिंदी संस्करण का विमोचन किया. अब तक ओडिया और अंग्रेजी में उपलब्ध पुस्तक का हिंदी में अनुवाद शंकरलाल पुरोहित ने किया है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि करीब डेढ़ वर्ष पहले हम सब ने ‘उत्कल केसरी’ हरेकृष्ण महताब जी की एक सौ बीसवीं जन्मजयंती मनाई थी. आज हम उनकी प्रसिद्ध किताब ‘ओडिशा इतिहास’ के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण कर रहे हैं. ओडिशा का व्यापक और विविधताओं से भरा इतिहास देश के लोगों तक पहुंचे, ये बहुत आवश्यक है.

पीएम मोदी ने पुस्तक के हिंदी संस्करण का लोकार्पण करते हुए कहा कि इस किताब की भूमिका में लिखा हुआ है कि डॉ. हरेकृष्ण महताब जी वो व्यक्ति थे जिन्होंने इतिहास बनाया, इतिहास बनते हुए देखा और इतिहास लिखा भी. ऐसे महापुरुष खुद भी इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय होते हैं.महताब जी ने आज़ादी की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित किया और जेल की सजा काटी थी.

पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास केवल अतीत का अध्याय ही नहीं होता, बल्कि भविष्य का आईना भी होता है.इसी विचार को सामने रखकर आज देश अमृत महोत्सव में आज़ादी के इतिहास को फिर से जीवंत कर रहा है. पाइक संग्राम, गंजाम आंदोलन और लारजा कोल्ह आंदोलन से लेकर सम्बलपुर संग्राम तक ओडिशा की धरती ने विदेशी हुकूमत के खिलाफ क्रांति की ज्वाला को हमेशा नई ऊर्जा दी, कितने ही सेनानियों को अंग्रेजों ने जेलों में डाला, यातानाएं दी. लेकिन आजादी का जूनून कम नहीं हुआ.

पीएम मोदी ने लोकार्पण करते हुए बताया कि ओडिशा के अतीत को आप खंगालें, आप देखेंगे कि उसमें हमें ओडिशा के साथ साथ पूरे भारत की ऐतिहासिक सामर्थ्य के भी दर्शन होते हैं. इतिहास में लिखित ये सामर्थ्य वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं से जुड़ा हुआ है, भविष्य के लिए हमारा पथप्रदर्शन करता है. व्यापार और उद्योगों के लिए सबसे पहली जरूरत इनफ्रास्ट्रक्चर है. आज ओडिशा में हजारों किमी के नेशनल हाइवेज़ बन रहे हैं, कोस्टल हाइवेज़ बन रहे हैं जो कि पॉर्ट्स को कनैक्ट करेंगे. सैकड़ों किमी नई रेल लाइंस पिछले 6-7 सालों में बिछाई गई हैं.

आपको बता दें कि बता दें कि डॉ हरेकृष्ण महताब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सेनानी थे, उन्होंने 1946 से 1950 तक और 1956 से 1961 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया था. उन्होंने अहमदनगर किले जेल में ‘ओडिशा इतिहास’ पुस्तक लिखी, जहां उन्हें 1942 से 45 के दौरान दो साल से अधिक की जेल हुई थी….
Leave a Reply
View Comments