20 मार्च को विश्व भर के देशों में अन्तर्राष्ट्रीय खुशी दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के सलाहकार जेमी इलियन ने पहली बार 2006 में इसका प्रस्ताव रखा था.उसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जुलाई 2012 में इसे मनाने की घोषणा की और पहला अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस 20 मार्च, 2013 को मनाया गया.कोविड महामारी को देखते हुए इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस की थीम है-शांत रहिए, बुद्धिमान एवं दयालु बनिए.

ये दिवस साल 2013 से प्रतिवर्ष विश्व भर में खुशी के महत्व को समझने हेतु मनाया जाता है.पहला अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस 20 मार्च 2013 को मनाया गया था.अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस एक विश्वव्यापी आंदोलन की भांति कार्य कर रहा है जो प्रसन्नता को मौलिक मानव अधिकार बनाये जाने हेतु जागरूकता प्रदान कर रहा है.

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि विश्व भर में उदासी, चिंता तथा गुस्से जैसी नकारात्मक भावनाओं में वृद्धि हुई है.पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले विश्व की औसत प्रसन्नता दर में भारी कमी आई है.भूटान से ही प्रसन्नता को मापने की अवधारणा शुरू हुई थी.यह रिपोर्ट प्रति व्यक्ति आय,जीडीपी,स्वास्थ्य,सामाजिक सहयोग, आपसी विश्वास, जीवन संबंधी निर्णय लेने की स्वतंत्रता और उदारता जैसे संकेतकों पर तैयार की जाती है.

कोरोना काल के बाद से ही विश्व भर में लोग तनाव भरा जीवन जीने को मजबूर हुए हैं ऐसे में ये जान लेना भी जरूरी है कि क्या है यह खुशी और कैसे इसे हमेशा बनाए रखा जा सकता है? इस सवाल के जवाब में काउंसलर और मनोवैज्ञानिक लोगों का कहना है ‘खुशी को यदि आप पार्टी करने, मस्ती धमाल या शोर-शराबे से जोड़ते हैं तो वास्तव में ये सच नहीं है.ये खुशी का प्रतीक भर है, जो हमेशा सच हो यह जरूरी नहीं,दरअसल, खुशी एक अच्छे एहसास से कहीं ज्यादा बड़ी चीज है.

ये केवल हंसता हुआ चेहरा यानी ‘स्माइली’ नहीं है,काउंसलर इसे और खूबसूरत ढंग से बताती हैं,कि खुशी यानी जब मन प्रफुल्लित होने का एहसास हो.आप कोई ऐसा काम करें,जिससे आपको संतुष्टि मिले.आपको लगे कि मैंने वह किया,जो मायने रखता है.जिस काम को करने के बाद आत्मसम्मान बढ़े,खुद पर गर्व का एहसास हो.वह एहसास जो उमंग से भर देता है और आपको हरदम बेस्ट करने के लिए प्रेरित करता रहता है.

हम सब खुश रहना चाहते हैं,पर कभी-कभी कुछ चीजें हमारे कंट्रोल में नहीं होती हैं.कोविड -19 के दौर में हम सभी यह बात अच्छी तरह समझ गए कि कैसे आप भले न चाहें,लेकिन जिंदगी में अचानक कुछ परिवर्तन आएं,तो उन्हें स्वीकार करना होता है.लोगों को लगता है कि मुश्किल समय खत्म होगा,तो खुश हो लेंगे,पर ऐसा हो यह जरूरी नहीं,तो फिर कहां मिलेगी,कैसे मिलेगी खुशी?काउंसलर के मुताबिक,मै तो बस यही सलाह देती हूं कि खुशी को वास्तव में समझें इसे तब समझेंगे,जब आपको पता होगा कि आपको क्या चाहिए.

आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं, औरों की नजर में आप किस तरह से याद किया जाना पसंद करेंगे,उसके लिए क्या कर रहे हैं,आपको यह पता हो, इसलिए अपने अंदर कुरेदने की कोशिश करें कि वह क्या चीज है, जो आपको संतोष देती है, आपको आत्मगौरव का एहसास कराती है.यदि यह जान गए तो आप उसी दिशा में प्रयास करेंगे और खुशी को अक्सर अपने पास पाएंगे.

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