देश भर में चलाए जा रहे किसान आंदोलन को लेकर केन्द्र सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की हो चुकी बातचीत के बाद भी अबतक कोई हल नहीं निकल सका है.किसान नेताओं की तरफ से अब तक अपनी मांगों पर अड़े हुए राकेश टिकैत ने आंदोलन के दौरान भावुक होकर किसान आंदोलन को एक नई धार देते हुए अपनी मंशा जाहिर कर दी है और सरकार के सामने खुल कर अपनी बात कहते हुए कहा है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं.

किसान नेताओं की ओर से हरियाणा के जींद के गांव कंडेला में बुलायी गयी महापंचायत में हादसा हो गया.मंच पर मौजूद किसान नेता राकेश टिकैत किसानों को संबोधित कर रहें थे उसी दौरान मंच टूटकर गिर गया.मंच पर मौजूद राकेश टिकैत समेत कई अन्य किसान नेता घायल हो गए हैं.मंच से किसानों को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली में आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकार की ओर से की गई किलेबंदी अभी तो एक नमूना है.आने वाले दिनों में इसी तरह से गरीब की रोटी पर किलेबंदी की जाएगी. रोटी तिजोरी में बंद न हो, इसके लिए ही ये आंदोलन शुरू किया गया है और हमारी पूरी कोशिश है कि आंदोलन को किसी भी हालत में कमजोर ना पड़ने ना दिया जाए.
#WATCH हरियाणा: जींद ज़िले में महापंचायत के दौरान स्टेज टूटा। pic.twitter.com/IPdt2lTBwn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 3, 2021
अभी सरकार को अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है.आगे जैसे भी हालात रहेंगे, उसी हिसाब से अगली रणनीति पर किसान चर्चा करेंगे और सरकार से की गई मांग को मनवाने के लिए आंदोलन को और तेज करेंगे.

वहीं राकेश टिकैत ने खुद पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज होने की बात पर कहा, ‘जब तक आंदोलन चल रहा है चलता रहेगा.उसके बाद जेल में रहूंगा.मीडिया ने लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने की घटना पर सवाल किया तो टिकैत ने कहा कि ये सब सरकार की मिली-भगत थी इससे हमारे किसान आंदोलन का कोई संबंध नहीं था.

राकेश टिकैत ने अपने पिता के समय से किसानों के हक की लड़ाई को याद करते हुए कहा कि पिछले 35 साल से किसानों के हित में आंदोलन करते आ रहे हैं.हमने संसद घेरने की बात भले ही कही, पर लाल किले पर जाने की न तो कभी बात कही और न ही हम गएं.26 जनवरी को लाल किले पर जाने वाले लोग किसान नहीं थे और जो थे, वे सरकार की साजिश का हिस्सा थे.उन्हें आगे जाने दिया गया तभी वो जा सके ये सब सरकार की ओर से चली गई चाल थी जिससे किसान आंदोलन को बदनाम कर खत्म किया जा सके.

आपको बता दें कि बुलाई गई महापंचायत में 5 प्रस्ताव पारित किए गयें हैं जिसके लेकर राकेश टिकैत ने उन 5 प्रस्तावों के बारे में बताया है. तीनों केंद्रीय कृषि कानून रद्द किए जाएं,न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून जामा पहनाया जाए,स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू किया जाए,किसानों का कर्जा माफ किया जाए और 26 जनवरी को पकड़े गए किसानों को रिहा किया जाए और जब्त किए गए ट्रैक्टरों को छोड़ा जाए किसानों पर दर्ज जबरदस्ती के केस वापस लिए जाएं.

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