प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से लाए जाने वाले नए कृषि कानून पर सुप्रिम कोर्ट की ओर से झटका लगा है.सुप्रिम कोर्ट ने आज किसान आंदोलन पर बड़ा फैसला सुनाया है.कोर्ट ने केन्द्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने एक कमेटी का भी गठन किया है. इसमें भूपिंदर मान सिंह मान, प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड, अशोक गुलाटी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट और अनिल धनवत, शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र को शामिल किया गया है.

वहीं आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे वकील विकास सिंह ने कहा कि आंदोलन कर रहे लोगों को रामलीला मैदान में जगह मिलनी चाहिए.एक ऐसी जगह हो जहां प्रेस और मीडिया भी उन्हें देख सके. प्रशासन उसे दूर जगह देना चाहता है. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है. पुलिस शर्तें रखती है. पालन न करने पर अनुमति रद्द करती है. क्या किसी ने आवेदन दिया?जिस पर वकील विकास सिंह ने कहा कि मुझे पता करना होगा.

इन सब के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बड़ा सवाल है कि क्या किसान संगठन केंद्र सरकार की बनाई इस कमेटी के सामने पेश होंगे? क्योंकि किसान संगठनों की ओर से पहले ही ये साफ कर दिया गया था कि कृषि कानूनों पर रोक का स्वागत है लेकिन हम किसी कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गणतंत्र दिवस बाधित करने की आशंका वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है.

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा, ‘कानून रद्द होने तक आंदोलन चलता रहेगा. किसान संगठन कोर्ट के आदेश का अध्ययन करेंगी, ताकि आगे की रणनीति तय की जा सके.’ उन्होंने कहा, ‘कोर्ट की ओर से फैसला होने के बाद हम कोर कमेटी की बैठक बुलाएंगे और इस पर अपनी लीगल टीम के साथ चर्चा करेंगे. इसके बाद हमें क्या करना है, उसका फैसला करेंगे.’
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