होली से एक दिन पहले की रात को होलिका दहन किया जाता है.होलिका दहन बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.शास्त्रों में इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी कही जाती है ,पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था.हिरण्यकश्यप को ये बात बिल्कुल नहीं पसंद थी,वो हिरण्यकश्यप को इसके लिए तरह-तरह की यातनाएं देता था.जिसको मारने के लिए उसने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर एक योजना बनाई…

हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को भक्त प्रहलाद की विष्णु भक्ति को खत्म करने के साथ ही उसको भक्ति से विमुख करने का काम दिया,जिसके पास आग में ना जलने का वरदान था.प्रहलाद को मारने के लिए होलिका उसको अपनी गोद में लेकर आग के ऊपर बैठ गयी,लेकिन भगवान विष्णु के अनन्य भक्त प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ र वो अग्नि में जलन से बच गया और होलिका तपते हुए उसी आग में समाहित हो गयी.

इसके बाद से ही भारत वर्ष मे होलिका दहन की परंपरा शुरू हो गई,जिसके लिए मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि में सभी नकारात्मक चीजें जल जाती हैं.होलिका दहन से पहले आज भी पूजा करने का विशेष महत्व है.इस दिन सुबह-सुबह उठकर पूर्व या उत्तर दिशा में बैठकर पूजा करनी चाहिए.इसके लिए गाय के गोबर से प्रहलाद और होलिका की मूर्ति बनाएं,फिर रोली ,अक्षत,फूल,हल्दी,मूठ,गेहूं की बालियां,होली पर बनने वाले चावलों को अर्पित करें.

इसके साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा करें ,पूजा करने के बाद होलिका की परिक्रमा करनी चाहिए और होलिका में ही गेहूं की बालियां,चना,चावल और नारियल डालना चाहिए.

होली का त्योहार इस बार देश भर में 28 और 29 मार्च को मनाया जा रहा है.जिसमें होलिका दहन का शुभ मुहुर्त शाम 6 बजकर 37 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 56 मिनट तक है..साथ ही फाल्गुन तिथि प्रारंभ 28 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 27 मिनट से लेकर 29 मार्च 2021 को 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगा…

इस बार की होली पर बनने वाले विशेष संयोग के चलते होली का महत्व बढ़ गया है…इस बार होली के दिन ध्रुव योग बन रहा है जो 499 साल बाद आता है.इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में होगा और मकर राशि में शनि और गुरू रहेंगे.हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल की फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है…

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