अरूणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री माता प्रसाद का मंगलवार की देर रात निधन हो गया.पूर्व राज्यपाल 96 वर्ष के थे और काफी लंबे से बीमार चल रहे थे.लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में पूर्व राज्यपाल ने अंतिम सांस ली.उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मछलीशहर तहसील क्षेत्र के कजियाना मोहल्ले में 11 अक्टूबर 1924 को जन्मे माता प्रसाद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.माता प्रसाद के निधन की खबर मिलते ही पूरे जौनपुर में शोक छा गया उनके निधन से जौनपुर के लोगों में काफी दुख है.

आपको बताएं कि देश की नरसिंह राव सरकार ने 21 अक्टूबर 1993 में माता प्रसाद को अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया और 31 मई 1999 तक ये राज्य के राज्यपाल पद पर रहे.राज्यपाल पद पर रहते हुए माता प्रसाद को तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पद छोड़ने को कहा तो उन्होंने उनके इस प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया था.

नेताओं के बीच में और जनता के बीच काफी लोकप्रिय रहने के अलावा सादगी की प्रतिमूर्ति रहे माता प्रसाद ने मौजूदा समय के राजनेताओं को आईना दिखाया है.आज के दौर में जहां एक बार विधायक या मंत्री बनते ही नेतागण गाड़ी बंगले के साथ लाखों-करोड़ों में खेलने लगते हैं,वही 5 बार विधायक, 2 बार एमएलसी,उत्तर प्रदेश में नारायण दत्त तिवारी के मुख्यमंत्री काल में राजस्व मंत्री और राज्यपाल रहे माता प्रसाद पैदल या रिक्शे पर बैठे बाजार से सामान खरीदते अक्सर दिख जाते थे आज के समय में भी उनको पैदल चलना ही पसंद था.
राजनीतिक काल में स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम को अपना आदर्श मानने वाले माता प्रसाद जौनपुर के शाहगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर 1957 से 1974 तक लगातार 5 बार विधायक रहने के साथ ही 1980 से 1992 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहें.प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इन्हें अपने मंत्रिमंडल में 1988 से 89 तक राजस्व मंत्री बनाया था.माता प्रसाद जी की कार्य कुशलता को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने इन्हें1955 में जिला कांग्रेस कमेटी का सचिव भी बनाया था.
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