संसद में चल रहा बजट सत्र दो दिनों से जारी है.नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की ओर से किए जा रहे प्रदर्शन को लेकर भी संसद में खूब हंगामा हुआ.राज्यसभा में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभापति वेंकैया नायडू ने सदस्यों को निर्देश दिया साथ ही राज्यसभा की आगे की कार्यवाही को जारी रखा.

राज्यसभा में बोलते हुए पूर्व पीएम एच डी देवगौड़ा ने कहा कि हम गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुए उपद्रव की निंदा करते हैं, लेकिन किसान इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार नहीं हैं. उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए.विरोध स्थल पर कंक्रीट की दीवारें लगाने के केंद्र के फैसले से कुछ हासिल नहीं होगा.सरकार को इस पूरे मामले में शांति से निपटना चाहिए केन्द्र सरकार को इस पर राज्य सरकार की राय भी लेनी चाहिए और जल्द से जल्द उचित कदन उठाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए.

आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण के दौर में कोरोना गाइडलाइन को मानते हुए शारीरिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें दो पालियों में आयोजित हो रही है.बैठकें 5-5 घंटे की पारी में आयोजित हो रही है.राज्यसभा की कार्यवाही सुबह होती है और दोपहर के बाद लोकसभा की कार्यवाही शुरू होती है.बजट सत्र दो चरणों में आयोजित होगा.पहला चरण 15 फरवरी को खत्म होगा और दूसरा चरण 8 मार्च से 8 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा.

राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा.उन्होंने कहा कि नोटबंदी से लेकर CAA देश में ऐसे ब्लंडर हैं, जिन्होंने लोगों को बड़ी चोट दी है.उन्होंने कहा कि नोटबंदी से लगभग 50 लाख लोग बेरोजगार हुए और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी.सरकार के वादों और क्रियान्वयन के बीच अंतर बहुत बड़ा है और वो लोगों का दिल नहीं जीत सकी है, चाहे वह गरीब हो, किसान हो या मजदूर.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सरकार पर कोरोना महामारी को लेकर भी खूब निशाना साधा.

दिग्विजय सिंह बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस और विपक्ष पर निशाना साधा.उन्होंने कहा कि जब देश कोरोना से जूझ रहा है, तो विपक्ष उंगलियां उठाने में व्यस्त है. कोरोना को कंट्रोल करने के लिए सरकार की ओर से किए गए लॉकडाउन पर पहले उन्होंने और फिर अनलॉक फेज पर सवाल उठाया. कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में लॉकडाउन के उपायों की सराहना की.

इसके बावजूद पार्टी वैक्सीन पॉलिटिक्स का आरोप लगा रही है.केन्द्र में जब यूपीए सरकार थी, तब स्वास्थ्य बजट का पूरा उपयोग नहीं किया गया था. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए का पांच साल का बजट 1,75,000 करोड़ रुपये का था जबकि एनडीए का एक साल का स्वास्थ्य बजट 2,23,000 करोड़ है.इसमें पिछले वर्ष के मुकाबले 137 फीसदी की वृद्धि हुई है.

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