भारत में कोविड वैक्सीन लगवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत बड़ा आदेश दिया है, सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी व्यक्ति को कोरोना का टीका लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. अदालत ने कुछ राज्य सरकारों और संगठनों की ओर से कोविड टीका नहीं लगवाने वालों के सार्वजनिक जगहों पर जाने पर पाबंदी लगाने संबंधी आदेशों को भी वापस लेने को कहा है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया है कि वो कोविड-19 वैक्सीन के दुष्प्रभावों के आंकड़े भी जल्द से जल्द सार्वजनिक करे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, किसी भी व्यक्ति को वैक्सीन लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी व्यक्ति की शारीरिक अखंडता के अधिकार में वैक्सीनेशन से इनकार करने का अधिकार शामिल है.

कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर कोई पर्याप्त डेटा पेश नहीं किया गया है ताकि ये दिखाया जा सके कि गैर-वैक्सीनेशन वाले व्यक्तियों से वैक्सीनेशन वाले व्यक्तियों की तुलना में कोविड-19 वायरस के प्रसार का जोखिम ज्यादा है. आपको बता दें कि, कोरोना वैक्सीनेशन पर 17 जनवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने हलफनामा दाखिल किया था, केंद्र ने अपने हलफनामा में कहा था कि देश भर में कोरोना वैक्सीनेशन अनिवार्य नहीं है, न किसी पर वैक्सीन लगवाने का कोई दबाव है.
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