कोरोना महामारी के दौरान कुछ बच्चों के माता- पिता दोनों ने ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया है.ऐसे में राज्य सरकारों ने बच्चों के पालन-पोषण की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए उनकी पढ़ाई की भी चिंता की है. वहीं कई राज्य की सरकार ने उन बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाने की जिम्मदारी भी ले ली है.यूपी के बाद अब पंजाब सरकार ने भी आगे बढ़कर कहा कि उनके राज्य में जिन बच्चों ने माता- पिता या परिवार में कमाने वाले सदस्य को खो दिया है. उन्हें ग्रेजुएशन लेवल तक मुफ्त शिक्षा दी जाएगी.

पढ़ाई का सारा खर्चा सरकार उठाएगी. इसी के साथ समाजिक सुरक्षा पेंशन के रूप में 1500 रुपये प्रति महीने बच्चों को दिए जाएंगे.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बात की जानकारी दी. सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जिन छात्रों ने अपने माता-पिता या परिवारों को खो दिया है, जिन्होंने महामारी से कमाई करने वाले सदस्यों को खो दिया है, उन्हें इस नई योजना के तहत स्नातक स्तर तक मुफ्त शिक्षा की पेशकश की जाएगी. सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ये भी कहा कि ऐसा करना राज्य का कर्तव्य है.

सीएम के मुताबिक 21 साल की उम्र तक के ग्रेजुएशन लेवल तक छात्रों को राहत के उपाय उपलब्ध कराए जाएंगे. इससे पहले छात्रों के लिए स्कूल और कॉलेज की शिक्षा मुफ्त होगी.

पंजाब सरकार ने इस बात का ऐलान किया है कि, जिन बच्चों ने कोरोना महामारी के कारण अपने माता- पिता को खो दिया है, उन्हें फ्री में ग्रेजुएशन लेवल तक पढ़ाई करवाई जाएगी.कोविड -19 महामारी के कारण अनाथ छात्रों को मुफ्त शिक्षा के अलावा, जिन परिवारों ने अपनी कमाई वाले सदस्य को खो दिया है, उन्हें भी 1500 रुपये मासिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन के रूप में दिए जाएंगे.
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