दुनिया के रहने योग्य सबसे ठण्डे स्थानों में शुमार रूस के साइबेरिया इलाके से बर्फ के बीच वूली गैंडे का अवशेष मिलने से वैज्ञानिकों ने इस बात पर चिंता जताई है. वूली गैंडे का ये अवशेष याकूतिआन इलाके में पाया गया है जो हमेशा बर्फ से ढंका रहता है.इस अवशेष को अब साइबेरिया के याकूतस्क शहर भेज दिया गया है जहां अब इसका विस्तृत अध्ययन किया जा सकेगा.गैंडे का ये अवशेष करीब 40 हजार साल पुराना बताया जा रहा है.इस गैंडे के अवशेष मिलने के बाद अब वैज्ञानिकों को एक चिंता खाए जा रही है.

साइबेरियन टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक रूसी वैज्ञानिकों ने इस वूली गैंडे के अवशेष को मीडिया के सामने पेश किया है.करीब 40 हजार साल बीत जाने के बाद भी इस वूली गैंडे का 80 फीसदी आर्गेनिक मटेरियल अभी भी बना हुआ है. इसमें गैंडे के बाल, दांत, सींग और फैट अभी भी बने हुए हैं.आपको बतायें कि इस गैंडे की खोज पिछले साल अगस्त महीने में याकूतिआन के निर्जन इलाके में बर्फ के पिघलने के दौरान हुई थी.

पूरे इलाके में रास्ते के बर्फ से जमे होने की वजह से इस गैंडे के अवशेष को जनवरी में लाया जा सका.याकूतिआ अकादमी ऑफ साइंसेज के डॉक्टर गेन्नाडी बोइस्कोरोव ने कहा, ये वूली गैंडा करीब 236 सेंटीमीटर का है जो एक वयस्क गैंडे से करीब एक मीटर कम है.उन्होंने कहा कि गैंडा करीब 130 सेंटीमीटर ऊंचा है जो एक वयस्क गैंडे से 25 सेंटीमीटर कम है.वैज्ञानिकों का मानना है कि ये किशोर वूली गैंडा इंसानी शिकारियों से बचने के लिए भाग रहा था और इसी दौरान वह दलदल में फंस गया जिसके बाद ही इसकी मृत्यु हो गयी थी.

हालांकि इस वूली गैंडे के मरने की असली वजह अभी तक पता नहीं चल पाई हैं.इसके मिले अवशेष से अब वैज्ञानिक वूली गैंडे के बारे में और जानकारी जुटा सकेंगे.रूस के साइबेरिया में अब बर्फ पिघल रही है और लगातार कई खोजें हो रही हैं.साथ ही वैज्ञानिकों को अब इस बात की भी चिंता सता रही है कि प्राचीन बैक्टिरिया और वायरस फिर से जिंदा हो सकते हैं जो हजारों, लाखों साल से बर्फ में दबे हुए हैं.क्योंकि अभी तक माना जाता रहा है कि जलवायु में परिवर्तन की वजह से इन गैंडों की मौत हुई थी.
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