सदी का महानायक के बारे में भला कौन नहीं जानता ..पर क्या आप सदी के महाखलनायक के बारे में जानते हैं …शायद बहुत सारे लोगों का जबाब हां में भी होगा और ना भी कहेंगें …सिल्वर स्क्रीन पर जिसकी कुटिल मुस्कान और घूरती आंखें देखकर दर्शकों में खौफ पैदा हो जाता था …जिसने करीब छ दशक तक की लंबी फिल्मी करियर की पारी खेली …जिसे फिल्मी जगत ने विलेन ऑफ मिलेनियम के खिताब से नवाजा आज हम उसी शख्स के बारे में आपसे बात कर रहें हैं … जी हां ये और कोई नहीं बल्कि तकियाकलाम बरखुदार के नाम से जाने वाले प्राण हैं … देश की राजधानी दिल्ली के एक समृद्ध परिवार में हीं प्राण किशन सिकंद का जन्म हुआ … दरअसल प्राण का पूरा नाम हीं प्राण किशन सिकंद था जो बाद में फिल्म इंडस्ट्री में प्राण के नाम से विख्यात हुआ …प्राण बचपन से हीं पढ़ायी लिखायी में काफी होशियार रहे …खास तौर पर गणित में ….प्राण के पिता एक सरकारी मुलाजिम थे…युवावस्था में प्राण ने अपने फोटोग्राफी के शौक को पूरा करने के लिये हीं … दिल्ली और शिमला के एक स्टूडियो में नौकरी की और फिर लाहौर चले गए…फिल्म इंडस्ट्री में एक खलनायक के तौर पर उभरने वाले प्राण को….. हिंदी फिल्मों में पहला ब्रेक 1942 में फिल्म ‘खानदान’ से मिला…..प्राण ने अपने फिल्मी करियर में तकरीबन 350 से अधिक फिल्मों में काम किया…..देश के बंटवारे से पहले प्राण ने 22 फिल्मों में निगेटिव रोल किया…. वे उस समय के काफी चर्चित विलेन बन चुके थे….. आजादी के बाद उन्होंने लाहौर छोड़ दिया और मुंबई आकर बस गए….. यह उनके जीवन का संघर्ष का समय रहा….मुंबई आने के बाद प्राण को फिल्म ‘जिद्दी’ में काम मिला ….इस फिल्म के लीड रोल में देवानंद और कामिनी कौशल ….. ‘जिद्दी’ के बाद इस दशक की सभी फिल्मों में प्राण खलनायक के रोल में नजर आए….1955 में दिलीप कुमार के साथ ‘आजाद’, ‘मधुमती’, ‘देवदास’, ‘दिल दिया दर्द लिया’, ‘राम और श्याम’ और ‘आदमी’ जैसे नामचीन फिल्मों में अहम किरदार निभाकर अपनी एक अलग पहचान सिल्वर स्क्रिन पर बनायी ….. देवानंद के साथ ‘मुनीमजी’ ‘अमरदीप जैसी फिल्मों में भी प्राण का किरदार अच्छा खासा चर्चा में रहा ….. फिल्म ‘जंजीर’ के किरदार विजय के लिए प्राण ने हीं फिल्म के निर्देशक को अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया ….. इस फिल्म ने अमिताभ का करियर पलट कर रख दिया …..
प्राण ने अमिताभ की दोस्ती के चलते… इसमें शेरखान का किरदार भी निभाया…..इसके बाद अमिताभ बच्चन के साथ ‘ज़ंजीर’, ‘डान’, ‘अमर अकबर अन्थोनी’, ‘मजबूर’, ‘दोस्ताना’, ‘नसीब’, ‘कालिया’ और ‘शराबी’ जैसी फिल्में बॉक्स आफिस में तहलका मचा दीं ….ये प्राण के अभिनय का हीं जादू रहा कि प्राण को तीन बार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मिला… 1997 में प्राण को फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट खिताब से भी नवाजा गया… प्राण को हिन्दी सिनेमा में उनके योगदान के लिए 2001 में भारत सरकार के पद्म भूषण…… और फिल्म जगत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया… अपनी एक्टिंग से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाने वाले खलनायक प्राण हर फिल्म के लिए भारी फीस लिया करते …… उनकी फीस उस समय के चर्चित हीरो से भी ज्यादा हुआ करती थी …लेकिन इस बात को लेकर फिल्म जगत में खासा चर्चा रहा कि प्राण ने राज कपूर की फिल्म ‘बॉबी’ मात्र एक रुपए में साइन की ….. उस दौरान राज कपूर आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे…..इसको देखते हुए प्राण ने राजकपूर से फीस नहीं ली…..प्राण जितना बिग स्क्रीन पर खतरनाक नजर आते थे ……वह असल जिंदगी में उतने ही नरम दिल थे…..प्राण की दोस्ती ट्रैजेडी किंग दिलीप कुमार से बहुत गहरी रही…उस वक्त दिलीप कुमार की शादी में हिस्सा लेने प्राण विशेषतौर पर कश्मीर से मुंबई पहुंचे थे……जहां तक प्राण की पर्सनल लाइफ की बात करें तो साल 1945 तारीख 18 अप्रैल शुक्ला सिकंद के साथ प्राण शादी के बंधन में बंधे ..कहा तो ये भी जाता है कि प्राण अपनी फिल्में कभी नहीं देखते ..उनकी नजर में ये समय की बर्बादी था….. परदे पर क्रूर और बुरे आदमी का किरदार निभाने वाले प्राण निजी जिंदगी में बेहद सज्जन , संवेदनशील और यारबाज टाइप के इंसान रहे….गरीब, बेसहारा और अनाथों की उन्होंने हमेशा मदद करने की कोशिश की … करीब 6 दशक तक लोगों को अपने अभिनय का मुरीद बनाने वाले प्राण 12 जुलाई 2013 को 93 साल की उम्र में हम सबको छोड़कर चले गये .. प्राण ने हिंदी सिनेमा में जो योगदान दिया है उसे पहले भी याद किया गया …आज भी याद किया जाता है और सदीयों तक लोग याद करेंगें … प्राण आज बेशक हमारे बीच नहीं है लेकिन.. उनकी बेबाक अदाकारी आज भी उनके चाहने वालों के दिलो में जिंदा है