शायरी में फ़रिग़ बुखारी स्पेशल

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जैसे बोसीदा किताबें हों हवालों के लिए

देख यूँ वक़्त की दहलीज़ से टकरा के न गिर
रास्ते बंद नहीं सोचने वालों के लिए

आओ ता’मीर करें अपनी वफ़ा का मअ’बद
हम न मस्जिद के लिए हैं न शिवालों के लिए

सालहा-साल अक़ीदत से खुला रहता है
मुनफ़रिद राहों का आग़ोश जियालों के लिए

रात का कर्ब है गुलबाँग-ए-सहर का ख़ालिक़
प्यार का गीत है ये दर्द उजालों के लिए

शब-ए-फ़ुर्क़त में सुलगती हुई यादों के सिवा
और क्या रक्खा है हम चाहने वालों के लिए

विशेष
farigh bukhari urdu ghazal yaad ayenge zamane ko misalon ke liye
Farigh Bukhari: याद आएँगे ज़माने को मिसालों के लिए