2 मार्च को संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 देशों ने वोट किया और 5 देश इसके खिलाफ रहे। भारत, पाकिस्तान और चीन सहित 35 देशों ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया । उत्तर कोरिया, रूस, सीरिया, बेलारूस और ऐरीट्रिया जैसे देश प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। अफ्रीकी देशों में से सिर्फ ऐरीट्रिया ने ही निंदा प्रस्ताव के खिलाफ रूस के पक्ष में मतदान किया।
जहां कई देश रूस के खिलाफ नजर आए तो वहीं सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण पर रूस का साथ दिया है। उन्होंने हाल ही में कहा था कि पुतिन इतिहास को सही कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों से अमेरिका असद को सीरिया की गद्दी से हटाना चाह रहा है लेकिन पुतिन की मदद से वह अब तक सत्ता में बने हुए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यही कारण है कि सीरिया रूस के पाले में नजर आ रहा है।
आपको बता दें की यूक्रेन युद्ध में बेलारूस ने रूस की लगातार मदद की है। साल 2020 में बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के खिलाफ देश में भारी विद्रोह रहा। लोगों ने महीनों तक लुकाशेंको के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। लोगों का कहना था कि चुनाव में लुकाशेंको ने धांधली की है और चोरी से राष्ट्रपति बन रहे हैं। इस वक्त रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अलेक्जेंडर लुकाशेंको की हर संभव मदद की और उनकी सत्ता बची रही।
रूस ने बेलारूस में लोकतंत्र का पूरी तरह से विरोध किया है। रूस ने बेलारूस की इकॉनमी को कई बार उबारा है। ऐसे में जब रूस को यूक्रेन में बेलारूस की मदद की जरूरत थी तो बेलारूस नहीं कहने की स्थिति में नहीं था।
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