भारत के अमन और चैन को कायम रखने के लिए निकली एक शांति दूत। लोगो ने बताया दूसरी मदर टेरेसा।

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लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. रूप रेखा वर्मा का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह 1857 की क्रांति से जुड़े पर्चे बांटती नजर आ रही हैं। इस पर लोगाें ने कहा कि इनके जैसे ही जोश की देश में अत्यंत जरूरत ह

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Lucknow University की पूर्व कुलपति ने बांटे 1857 क्रांति के पर्चे, वायरल वीडियो देख लोगों ने कही यह बात
लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. रूप रेखा वर्मा का एक वीडियो कई दिनों से इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें वह 1857 की क्रांति से जुड़े पर्चे लोगों को बांटती नजर आ रही हैं। उनके इस कार्य को काफी लोगों ने सराहा और कहा कि इनके जैसे ही जोश की देश में अत्यंत जरूरत है।

प्रो. रूप रेखा वर्मा वर्ष 1998 में एक वर्ष तक लखनऊ विश्वविद्यालय की कार्यवाहक कुलपति रही हैं। विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग की पूर्व प्रोफेसर प्रो. वर्मा ने बताया कि 1857 की मुख्य जंग लखनऊ के इस्माइगंज चिनहट में 30 जून को लड़ी गई थी। इसे हिन्दू, मुसलमानों, किसानों, मजदूरों सहित सभी ने मिलकर जीता था।

लखनऊ की जंग जीतने के बाद बेगम हरजत महल और वाजिद अलीशाह के बेटे 14 वर्षीय बिरजिस कद्र की ताज जोशी पांच जुलाई 1857 को हुई थी। इसी वजह से अंग्रेजों की हार और अपनी जीत की खुशी में हमनें बीते पांच जुलाई को इस्माइलगंज चिनहट में 1857 क्रांति के पर्चे बांटकर लोगों में एकता की अपील की है।

नफरत की लाठी तोड़कर आपस में प्रेम के साथ एकता बनाए रखना जरूरी है। यही संदेश देने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। साझी शहादत, साझी विरासत अभियान के तहत हुए इस कार्यक्रम में लवि के कई पूर्व शिक्षक भी शामिल हुए थे।