रितेश देशमुख. एक्टर हैं. और सिर्फ हिंदी फिल्मों में नहीं. मराठी फिल्मों के भी बड़े नाम हैं. रितेश ने 2014 में आई मराठी फिल्म ‘लय भारी’ से मराठी सिनेमा में डेब्यू किया था. अपने एक हालिया ट्वीट में उन्होंने फिल्म का ज़िक्र भी किया. साथ ही एक जानकारी भी साझा की. वो ये कि रितेश बतौर डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म ‘वेड’ की शूटिंग पूरी कर चुके हैं. ‘वेड’ एक मराठी शब्द है, जिसका मतलब होता है पागलपन. रितेश ने पिछले साल बताया था कि वो डायरेक्टर के तौर पर अपनी पहली फिल्म पर काम शुरू करने वाले हैं. फिल्म पर रितेश ने सिर्फ एक्शन-कट नहीं बोला. बल्कि शॉट देने के बाद मॉनिटर पर चेक भी किया, कि टेक सही था या नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि रितेश ‘वेड’ में एक्टिंग भी कर रहे हैं.

: कोंकणा कभी डायरेक्टर नहीं बनना चाहती थीं. मगर उन्हें ये भी कहां पता था कि चार लाइन की कहानी इतनी पसंद आ जाएगी कि खुद उसे डायरेक्ट करने का मन करेगा. कोंकणा के पिता और जर्नलिस्ट मुकुल शर्मा ने एक परिवार के ऊपर शॉर्ट स्टोरी लिखी, जो कि उनके आपसी रिलेशनशिप के बारे में थी. ये कहानी कोंकणा के दिमाग में अटक गई. वो दिन-रात उसके बारे में सोचतीं. दिमाग ही दिमाग में उस कहानी को गुनती रहीं. जब कहानी इतनी बड़ी हो गई कि कागज़ या दिमाग में न फिट हो सके, तब उसे फिल्म की शक्ल देने का फैसला लिया. इस कहानी पर बनी फिल्म को 2016 में ‘A Death in The Gunj’ नाम से रिलीज़ किया गया.

अप्रैल, 2008 को Films Division of India के ऑडिटोरियम में एक फिल्म स्क्रीन हुई. इसे देखने लालकृष्ण आडवाणी और दिवंगत नेता सुष्मा स्वराज भी पहुंची थीं. स्क्रीनिंग पूरी हुई, जिसके बाद लालकृष्ण आडवाणी को स्टैंडिंग ओवेशन देते हुए देखा गया. वो फिल्म थी ‘यू मी और हम’. बतौर डायरेक्टर, अजय देवगन की पहली फिल्म. भले ही अजय को फिल्म का आइडिया तीन साल पहले पसंद आ गया, लेकिन डायरेक्शन की नींव सालों पहले पड़ चुकी थी. साल 1998 में अजय ‘मेजर साब’ पर काम कर रहे थे. उस फिल्म को टीनू आनंद डायरेक्ट कर रहे थे. शूटिंग के दौरान वो एक दिन बीमार पड़ गए, हॉस्पिटल में एडमिट करने की नौबत आ गई.

आमिर खान
‘तारे ज़मीन पर’. वो इकलौती फिल्म जिसके डायरेक्टर वाले क्रेडिट में आमिर खान का नाम है. इस फिल्म के बनने में एक और अहम किरदार था. वो थे अमोल गुप्ते. उनका नाम आपको फिल्म के राइटर और क्रिएटिव डायरेक्टर वाले सेक्शन में मिलेगा. फिल्म आने के बाद ये दोनों नाम किसी और वजह से चर्चा में रहे. अमोल ने आरोप लगाया कि आमिर ने उनका क्रेडिट चुराया है. उनका कहना था कि बतौर डायरेक्टर, फिल्म की शूटिंग उन्होंने शुरू की थी, जिसे बाद आमिर ने टेकओवर कर लिया.

यूं होता तो क्या होता’. 2006 में रिलीज़ हुई फिल्म. इसमें इरफान खान, कोंकणा सेन शर्मा और रत्ना पाठक शाह जैसे एक्टर्स ने काम किया था. इस फिल्म ने इंडियन सिनेमा के दो दिग्गजों की लाइफ बदल दी. मलयालम फिल्मों के बढ़िया एक्टर्स में गिने जाने वाले फहाद फ़ाज़िल ने ये फिल्म देखी. वो इरफान की एफर्टलेस एक्टिंग देखकर सब कुछ भूल गए. वो बताते हैं कि इस फिल्म ने उनकी दुनिया बदल दी. जब फहाद ने ये फिल्म देखी, तब वो एक्टिंग में फुल टाइम एक्टिव नहीं थे. वो लाइफ में अन्य चीज़ें ट्राय कर रहे थे. मगस इसके बाद उन्होंने अभिनय को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. फिर आते हैं ‘यूं तो तो क्या होता’ के डायरेक्टर नसीरुद्दीन शाह. जो कहते हैं कि इस फिल्म ने उनका फिल्ममेकर के तौर पर कॉन्फिडेंस हिलाकर रख दिया.

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