न्यूज डेस्क- उत्तर प्रदेश का पीलीभीत टाइगर रिजर्व पर्यटन के साथ ही साथ कई बार मानव और वन्यजीव संघर्ष की खबरों के चलते चर्चा का विषय बन जाता है. बीते एक महीने में टाइगर के हमले में तीन लोगों की मौत के बाद जंगल की सीमा से सटे गांवों में रहने वाले लोग अब दहशत के साये में जी रहे हैं. ग्रामीणों के साथ ही साथ यह टाइगर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वन विभाग के अफसरों के लिए भी चिन्ता का विषय बना हुआ है.
दरअसल उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 65 से भी अधिक टाइगर रहते हैं. एक ओर पर्यटक दूरदराज से इन बाघों का दीदार करने के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व आते हैं, तो वहीं दूसरी ओर यही टाइगर जंगल से सटे इलाकों के लिए आफत का पर्याय भी बन जाते हैं. पीलीभीत के न्यूरिया इलाके के तमाम गांवों की सीमा पीलीभीत टाइगर रिजर्व की महोफ रेंज और उत्तराखण्ड की सुरई रेंज से सटी है. वैसे तो आमतौर पर वन्यजीवों की चहलकदमी इस इलाके के तमाम गांवों में देखी जाती है, लेकिन बीते एक महीने में लगातार टाइगर अटैक में तीन लोगों की मौत के बाद अब ग्रामीण दहशत में आ गए हैं.
इस गांव में जमाए है डेरा
बीते कई दिनों से उत्तराखंड की सुरई रेंज और उसके आस पास के दो किलोमीटर के दायरे में टाइगर की चहलकदमी देखी जा रही है. जबकि कुछ दिन पहले न्यूरिया इलाके के टांडा बिजैसी गांव में आबादी से सौ मीटर की दूरी पर एक युवक को टाइगर ने अपना शिकार बनाया था, तब से ही लगातार वन विभाग की टीमें टाइगर की निगरानी में जुटी हैं.
अब ट्रेंकुलाइज करने की तैयारी में वन विभाग
लंबे समय से ग्रामीणों के लिए आफत का सबब बने टाइगर से निपटने के लिए अब वन विभाग के अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों से टाइगर को ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति के लिए पत्राचार शुरू कर दिया है. उम्मीयद है कि अनुमति मिलने के बाद ट्रेंकुलाइज पर अमल किया जाएगा.
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