11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर दस फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने चक्रव्यूह तैयार कर लिया है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इनमें से 54 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा के सामने इन सीटों को बचाना बड़ी चुनौती है तो विपक्षी दलों के लिए वजूद का सवाल है।
2017 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों में बसपा और रालोद को सिर्फ एक-एक सीट ही मिल पाई थी। सपा को सिर्फ दो सीटें ही मिल पाई थीं। मेरठ की सात में 6 सीटें भाजपा ने जीत ली थीं। मेरठ शहर सीट सपा के खाते में चली गई थी। 2017 में मुजफ्फरनगर में सभी छह विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

शामली की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर भाजपा और एक पर सपा को विजयी हुई थी। बागपत की तीन में से दो सीटों पर भाजपा और एक पर रालोद ने जीत दर्ज की थी। हालांकि बाद में छपरौली विधायक ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली थी। गाजियाबाद की पांचों सीट भाजपा के खाते में चली गई थीं। हापुड़ की तीन विधानसभा सीटों में दो पर भाजपा और एक पर बसपा के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। गौतमबुद्धनगर की तीनों और बुलंदशहर की सातों सीट बीजेपी के खाते में चली गई थीं। अलीगढ़ की भी सभी सात सीटों पर भाजपा जीत गई थी। आगरा में सभी नौ और मथुरा की पांच सीटें भाजपा के खाते में चली गई थीं।
10 फरवरी को इन 11 जिलों में है मतदान
मेरठ, बागपत, नोएडा, हापुड़, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, शामली, अलीगढ़ आगरा, मथुरा।
Leave a Reply
View Comments