पर्यावरण को बचाने के लिए प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की देशभर में शुरूआत करने वाले सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हो गया है. वे कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ऋषिकेश एम्स हॉस्पिटल में भर्ती थे. ऋषिकेश एम्स प्रशासन ने उनके निधन की पुष्टि की है.

सुंदरलाल बहुगुणा 93 वर्ष के थे, कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें 8 मई को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी. एम्स के चिकित्सकों की पूरी कोशिश के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. उनके परिवार में पत्नी विमला, दो पुत्र और एक पुत्री हैं.

9 जनवरी, 1927 को उत्तराखंड के टिहरी में जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है .उन्होंने 70 के दशक में गौरा देवी और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी.

पद्मविभूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया जिसके लिए उन्होंने 84 दिनों तक लंबा अनशन भी रखा था. एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था.

टिहरी बांध के निर्माण के आखिरी चरण तक उनका विरोध जारी रहा, जिसमें उनका अपना घर भी टिहरी बांध के जलाशय में डूब गया था. टिहरी राजशाही का भी उन्होंने कड़ा विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा.

सुंदर लाल बहुगुणा हिमालय में होटलों के बनने और लक्जरी टूरिज्म के भी मुख्य विरोधी थे. महात्मा गांधी के अनुयायी रहे बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में कई बार पदयात्राएं की थी.

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