गाजियाबाद. जिले में एक लेखपाल विरासत में नाम दर्ज करने के बदले किसान से सरकारी आवास में पुताई करवा डाली. पुताई का सामान भी किसान उधार लेकर आया. इतना सब करने के बाद भी काम नहीं हुआ तो किसान ने इसकी प्रशासन से शिकायत की. प्रशासन ने तुरंत मामला संज्ञान में लेते हुए लेखपाल को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है.

शिकायत के अनुसार गांव सैदपुर हुसैनपुर डीलना निवासी किसान सिकंदर के माता पिता की मौत पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर हो गई है. पिता हरवीर सिंह के नाम कृषि भूमि है. वह इसे विरासत के तौर पर अपना नाम दर्ज कराना चाहता था. इसके लिए दो महीने पहले तहसील में प्रार्थना पत्र दिया था. उसका आरोप है कि लेखपाल विनोद कुमार प्रथम ने नाम दर्ज करने के बदले दस हजार रुपये देने के लिए कहा. किसान ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला दिया तो लेखपाल ने कहा कि गरीब हो या अमीर, पैसा देना ही पड़ेगा वरना काम नहीं होगा. रिश्वित के रुपये न देने की स्थिति में लेखपाल ने सरकारी आवास में पुताई करने का कहा.
सिकंदर कर्ज पर पैसा लेकर पुताई के लिए सामान जुटाया. इसके बाद लेखपाल आवास की पुताई की. इसी बीच लेखपाल का तबादला हो गया. सिकंदर पुताई के बाद लेखपाल के पास पहुंचा तो उसने कह दिया कि अब यह काम वह नहीं कर सकता, नए लेखपाल के पास जाओ. पीडि़त ने मामले की शिकायत एसडीएम मोदीनगर से की.
मामले की प्रारंभिक जांच के बाद आरोपी लेखपाल विनोद कुमार को निलंबित कर दिया गया. एडीएम वित्त विवेक कुमार श्रीवास्तव ने खुद तहसील आकर जांच की. उनकी रिपोर्ट पर एसडीएम शुभांगी शुक्ला ने यह कार्रवाई की. इस संबंध में एसडीएम मोदीनगर शुभांगी शुक्लाक ने बताया कि लेखपाल के खिलाफ आगे की विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गयी है.
Leave a Reply
View Comments